साक्षारता का कितना महत्व है, ये वह इंसान अच्छे से समझ सकता है, जो किताबों में लिखी बातों को देख सकता है, पर पढ़ नहीं सकता है। साक्षारता के महत्व को बताने और साक्षारता को बढ़ाने के लिए हर साल 8 सितंबर को विश्व साक्षारता दिवस मनाया जाता है। लेकिन इसके बावजूद भी विश्व के विकासशील और पिछड़े देशों में साक्षारता का स्तर तेजी से बढ़ा नहीं है। साक्षारता दिवस की शुरूआत 1966 में यूनेस्को के द्वारा की गई थी।
साक्षारता के स्तर में वृद्धि की बात भारत के संदर्भ में करें तो 2011 की जनगण्ना के अनुसार देश की साक्षरता दर 74 प्रतिशत है। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन के 2017 में जारी आंकड़ो के अनुसार देश में 86 प्रतिशत शहरी और 71 प्रतिशत ग्रामीण साक्षारता दर है। जनगणना के अनुसार केरल 93.91 प्रतिशत साक्षर राज्य है, जिसके बाद लक्ष्यद्वीप, मिजोरम, त्रिपुरा और गोवा राज्य अधिक साक्षारता वाले राज्य हैं। वहीं इसके विपरीत बिहार 63.82 और तेलंगाना 66.50 प्रतिशत है।
देश के गांवों में आज भी एक बड़ी आबादी फिर से अक्षर ज्ञान को हासिल कर रही हैं। इस ही तरह का एक शिक्षा केंद्र ललितपुर जिले में सहजनी शिक्षा केन्द्र खुला है, जहां आदिवासी और गरीब तबके की महिलाएं शिक्षा हासिल कर रही है। 35 साल की रेखा आज अक्षर से अंकों का ज्ञान हासिल कर चुकी है। वह इस उम्र में साक्षर होकर खुश हैं।
वहीं इस ही केन्द्र में पढ़ने वाली मनबू कहती हैं कि हम 50 साल में पढ़ना शुरुकर रहे हैं। दीदी हमें पढ़ाने के लिए बुलाती हैं,तो आज अक्षर से अंकों को जान पाये हैं। मनबू को देरी से पढ़ाई करने का अफसोस हैं क्योंकि आज आंख की रोशनी उतनी तेजी नहीं है।
केन्द्र में पढ़ाने वाली टीचर सोमवती कहती हैं कि हमारे केन्द्र में सब पढ़ाया जाता है, गिनती, पहाड़े और मोबाइल से लेकर सब जरूरी जानकारी देते हैं। सोमवती को खुशी है कि अब ये महिलाएं कहीं बाहर के गांव में जाएंगी तो बस का नंबर खुद देख सकती हैं।
सहजनी शिक्षा केन्द्र की समन्वयक मीना कहती हैं कि हमनें 2002 में ये काम शुरु किया था, हमनें दलित और आदिवासी महिलाओं को पढ़ाने का काम किया था, लेकिन तब ये समुदाय शिक्षा के महत्व को नहीं समझता था। यहां विद्यालय भी नहीं था, उसके बाद आज तो ये महिलाएं कई क्षेत्रों में काम कर रही हैं। ये बदलाव देखकर अच्छा तो लग रहा है।
इस तरह की कई संस्थाएं साक्षारता के स्तर को तो बढ़ाने का काम कर रही हैं, लेकिन आज भी देश का साक्षारता की रफ्तार कम है। यूनेस्को की ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट के अनुसार भारत को पूर्ण प्राइमरी शिक्षा तक पहुंचने में 2050 तक का समय लगेगा।
-अलका मनराल