देश में लगातार पत्रकारों पर बढ़ते हमलों के बारे में लोकसभा सत्र के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने बताया कि तीन साल में पत्रकारों पर हमले के करीब 142 केस दर्ज किये गये है। उन्होंने बताया की साल 2014 और 2015 में पत्रकारों पर हमले के 114 मामले दर्ज हुए और इस दौरान 73 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।
उन्होंने बताया कि साल 2014 में पत्रकारों पर हमले के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में हुए, जहां करीब 63 केस दर्ज किये गए।
वहीँ, बिहार से करीब 22 मामले सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हमला करने वाले चार लोगों को गिरफ्तार किया गया तो वहीं बिहार से किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया। मध्यप्रदेश में दस लोगों को गिरफ्तार किया गया, वहां से पत्रकारों पर हमले के 7 मामले सामने आए थे।
पत्रकारों पर हमले के महाराष्ट्र से करीब 5 केस दर्ज किए गए, जिनमें से एक की गिरफ्तारी हुई। आंध्रप्रदेश में चार केस सामने आए और गिरफ्तारी एक की हुई।
गुजरात और झारखंड से पत्रकारों के तीन मामले सामने आए, लेकिन गिरफ्तारी किसी की भी नहीं हुई। इसी प्रकार ओडिसा और उत्तराखंड से पत्रकारों पर हमले के एक–एक मामला सामने आया, लेकिन गिरफ्तारी किसी की नहीं हुई।साल 2015 में मध्यप्रदेश में पत्रकारों पर हमले के 19 मामले दर्ज किए गए और 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया, राजस्थान में पांच मामले दर्ज हुए, लेकिन किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया था, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में एक एक मामला सामने आया, लेकिन किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया था।
कुछ पत्रकार जो सरकार की आलोचनाएं करते हैं उनके खिलाफ़ केस भी चलाया जाता है। पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाकर भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए लगा कर कार्रवाई भी की जाती है।
2017 की विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में मीडिया कवरेज काफी मुश्किल है, यहां कोई सुरक्षा तंत्र नहीं हैं। स्थानीय मीडिया के लिए काम करने वाले पत्रकार अक्सर केंद्र सरकार की मौन सहमति से काम करने वाली सेना का शिकार होते हैं।