भारतीय भारत वटवानी को सड़क पर भीख मांगने वाले हजारों मानसिक रोगियों का इलाज करवाने और उन्हें उनके परिवार से मिलवाने के लिए रैमन मैगसायसाय पुरस्कार दिया गया है। यह एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है, इसमें एक अन्य भारतीय सोनम वांगचुक का नाम भी शामिल है। इस लिस्ट में कंबोडिया के नरसंहार में बच निकलने वाले शख्स का भी नाम शामिल किया गया है।
वहीं, सोनम वांगचुक को प्रकृति, संस्कृति और शिक्षा के जरिए सामुदायिक प्रगति के लिए काम करने को लेकर यह पुरस्कार मिला है।
डॉक्टर भारत वटवानी और उनकी पत्नी ने पहले छोटे स्तर पर ही दिमागी तौर पर बीमार सड़कों पर रहने वालों का प्राइवेट क्लिनिक में इलाज करवाना शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने सड़कों पर रह रहे मानसिक रोगियों को आश्रय देने, खाना मुहैया कराने, दिमागी इलाज कराने और परिवार से मिलवाने के मकसद से सन् 1988 में श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन की स्थापना की। इस काम में वटवानी परिवार की मदद पुलिस, सामाजिक कार्यकर्ता और कई अन्य लोग भी करते थे।
वहीं, सोनम वांगचुक ने 1988 में इंजिनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद स्टूडेंट्स एजुकेशन ऐंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख की स्थापना की और लद्दाखी छात्रों को कोचिंग देना शुरू किया। 1994 में वांगचुक ने ‘ऑपरेशन न्यू होप’ शुरू किया। ओएनएच के पास 700 प्रशिक्षित शिक्षक, 1000 वीइसी लीडर्स थे। इससे पढ़ने वाले छात्रों के मैट्रिकुलेशन एग्जाम्स में सफलता दर में तेजी से वृद्धि देखी गई। जहां, 1996 में सिर्फ 5 प्रतिशत छात्र ही पास हो पाते थे वह 2015 में बढ़कर 75 प्रतिशत हो गया था।
बता दें, फिलीपींस के राष्ट्रपति की 1957 में एक प्लेन क्रैश में हुई मौत के बाद इस पुरस्कार को शुरू किया गया था। यह पुरस्कार 31 अगस्त को मनीला में दिए जाएंगे।