‘2018 वाटर एड रिपोर्ट’ के अनुसार, करीब 163.1 मिलियन लोगों को उनके घर के पास साफ पानी नहीं मिलता है।
साफ़ पानी न मिलने का ये आंकड़ा इथियोपिया से ग्रस्त लोगों से करीब ढाई गुणा ज्यादा है और सूची में दूसरे स्थान पर है। इस मामले में अव्वल देशों की सूची में जो अन्य देश हैं वो है– नाइजीरिया, चीन, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ द कांगो।
ठीक इसी तरह, साल 2000 के बाद साफ पानी की उपलब्धता के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। चीन में जहां 334.2 मिलियन के पास साफ पानी उपलब्ध है तो वहीं दूसरी तरफ उसकी तुलना में भारत में 300.7 मिलियन लोगों तक साफ पानी की पहुंच है।
वैश्विक तौर पर अगर देखें तो 89 फीसदी आबादी के पास या उसके घर के नजदीक साफ पानी की पहुंच हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2000 में ये संख्या करीब 81 फीसदी थी। उसके बावजूद 844 मिलियन लोग अभी भी साफ पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
ताज़ा आंकड़ा ऐसे वक्त पर आया है जब यूनाइटेड नेशंस गोल 6 पर अगले कुछ महीनों में रिव्यू करने जा रहा है जिसका मकसद 2030 तक सभी को साफ पानी और सफाई उपलब्ध कराना है।
वहीं, इस रिपोर्ट में बेंगलुरु को आने वाले समय में पानी की किल्लत से जूझना पड़ेगा। इसे भारत केपटाउन कहा जा रहा है। यहाँ का जल स्तर पिछले दो दशक में 10-12 मीटर से गिरकर 76-91 मीटर तक जा पहुंचा है।
रिपोर्ट में दी गई लिस्ट में अन्य शहरों में बीजिंग(चीन), मेक्सिको सिटी(मेक्सिको), नैरोबी(केन्या), कराची(पाकिस्तान), काबुल(अफगानिस्तान)और इस्तांबुल(तुर्की)शामिल हैं। इन शहरों में पानी की उपलब्धता कभी भी खत्म हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, अगर इन शहरों में पानी नहीं बचाया गया तो केपटाउन की तरह अन्य शहरों में भी यह स्थिति कभी भी आ सकती है।
फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड