लखनऊ। यहां 29 जुलाई को सत्तर से ज़्यादा बच्चे मिड डे मील के तहत मिले दूध को पीकर बीमार हो गए। इन्हें कैंटोनमेंट अस्पताल में भर्ती किया गया था। डी.एम. ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। लखनऊ के मुख्य विकास अधिकारी योगेश कुमार ने बताया कि कुछ को छोड़कर ज़्यादातर बच्चे अस्पताल इलाज के बाद घर भेज दिए गए हैं। सभी बच्चे गुरुवार से अपने स्कूल भी जा पाएंगे।
यह घटना कैंटोनमेंट इलाके में स्थित आर.ए. बाज़ार प्राथमिक स्कूल की है। घटना करीब ग्यारह बजे की है जब बच्चों को दो सौ मिलीलीटर का दूध का पाउच दिया गया। यह दूध पराग डेयरी से आया था। स्कूल के बच्चों ने बताया कि दूध पीने के बाद ज़्यादातर बच्चों का पेट खराब हो गया। उन्हें उल्टियां शुरू हो गईं। बच्चों ने बताया कि दूध का स्वाद कड़वा था। हर बुधवार को पराग डेरी अक्षय पात्रा को बारह हज़ार दूध के पाउच भेजती है। यह पाउच ही मिड डे मील के तहत बांटे जाते हैं।
डी.एम. ने दूसरे स्कूलों से भी दूध पीने वाले बच्चों की सेहत का पता लगाने के आदेश दिए हैं। यह पैकेट इस स्कूल के अलावा दूसरे स्कूलों में भी पहुंचे थे। पिछले महीने ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मिड डे मील में दूध शामिल करने का आदेश दिया था।
कहां से आएगा दूध का पैसा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल पूछा है कि उत्तर प्रदेश सरकार दूध के लिए पैसा कहां से लाएगी। दरअसल 24 जून को ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हफ्ते में एक बार मिड डे मील में दूध शामिल करने का आदेश दिया था।
कानपुर के विनय कुमार ओझा ने एक याचिका दायर कर पूछा है कि आखिर दूध का पैसा सरकार कहां से देगी? इस बजट का ब्यौरा सरकार को देना चाहिए। प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए मिड डे मील की राशि करीब चार रुपए है जबकि जूनियर स्कूल के बच्चों के लिए करीब साढ़े पांच रुपए है।
एसे में बत्तीस रुपए प्रति लीटर का दूध मिड डे मील स्कूलों में सप्लाई करने वाली संस्थाएं कहां से लाएंगी? क्या सरकार इसके लिए अलग से बजट दे रही है?