जिला बांदा, ब्लाक नरैनी। या ब्लाक मा 278 आंगनबाडि़न के बीच कुल 10 केन्द्रन के निजी इमारत हैं। बांकी के 268 केन्द्र गांवन मा बने प्राथमिक विद्यालय, पंचायत भवन, मिनी सचिवालय या फेर लोगन के घरन मा चलत हैं। इमारतन के मांग ब्लाक अउर जिला स्तर के अधिकारी प्रषासन से करिन हैं।
कस्बा कालिंजर के आंगनबाड़ी सरस्वती,रूकमणी अउर कमला कहिन कि उनके हेंया 7 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं, पै एक भी इमारत नहीं बनी आय। इं केन्द्रन मा 6 केन्द्र स्कूल अउर पंचायत भवन मा चलत हैं। एक केन्द्र उमा आंगनबाड़ी का किराया के घर मा चलत है। विभाग से किराया नहीं मिलत। सढ़ा गांव के आगनबाड़ी प्रभात सिंह कहिस कि सन 1991 से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हौं। उनके ग्राम पंचायत मा 6 केन्द्र हैं, पै इमारत निहाय। अगर केन्द्रन खातिर इमारत होई जाय तौ नीक है।
भावरपुर आंगनबाड़ी सुमन बताइस कि उनके गांव मा 3 केन्द्र हैं, पै इमारत निहाय। सबै केन्द्र स्कूल मा चलत है। अगर खुद के केन्द्र के इमारत होय तौ अच्छा है। काहे से स्कूल मा केन्द्र चलत हैं तौ खाना मा परेषानी होत है। स्कूल मा रोज मिड्डेमील बनत है अउर आंगनबाड़ी केन्द्रन मा नहीं बनत तौ छोट बच्चा देख के खाना मागैं लागत है। आंगनबाड़ी का यतना वेतन नहीं मिलत कि उंई खुद किराया का कमरा लइके बच्चन का पढ़ावैं।
नरैनी बाल विकास परियोजना विभाग के सी.डी.पी.ओ. विमलेष कुमार पाल कहिन कि हर ब्लाक मा सौ केन्द्र बनै खातिर षासन कइत से सूची मांगी गे रहै। जेहिमा से डी.एम. के जरिए 20 के सूची भेजी गे है। अबै सौ के अउर भेजी जई। इमारत पास होय के बाद बनिहै।
दुई सौ अठहत्तर अंगनबाड़ी के बीच बने 10 केन्द्र
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