नई दिल्ली। दिल्ली शहर न केवल देश की राजधानी है बल्कि इसे कई ऐतिहासिक जगहों के लिए भी जाना जाता है। फरवरी की धूप भरी ठंड में खबर लहरिया पत्रकरों ने देखीं कुछ ऐसी जगहें जो हज़ारों साल पुराना ज़माना सामने ले आती हैं।
मुगल राजा शाहजहां ने साल 1650 में जामा मस्जिद बनवाना शुरू किया था। छह साल लगे इस मस्जिद को बनने में।
शाहजहां ने अलग-अलग शहरों में कई मस्जिदें बनवाई थीं पर यह मस्जिद सबसे अहम् मस्जिद है। एक समय पर इस मस्जिद में पच्चीस हज़ार लोग एक साथ नमाज़ अदा कर सकते हैं।
हर साल ईद के मौके पर हज़ारों लोग यहां जमा होते हैं। मस्जिद के एक कक्ष में कई साल पुरानी निशानियां रखी हैं जिनमें से एक अनोखी कुरान भी है।
हुमायूं का मकबरा
सन् 1565 में हुमायूं का मकबरा बना था। मुगल राजा हुमायूं की बेगम हमीदा बानो ने अपने पति की याद में बनवाया था।
हुमायूं की याद में हमीदा ने एक सौ बीस मीटर के चबूतरे पर यह मकबरा बनवाया। इसकी ऊंचाई सैंतालिस मीटर है। यह फारसी असर का पहला उदाहरण है। हुमायूं के मकबरे के अलावा भी मुगल परिवार की लगभग सौ कब्रें बनी हैं। लाल पत्थर और छत पर छोटी छतरियां, चमकदार नीली टाइल्स से ढकी हैं। सफेद संगमरमर के गुम्बद पर तांबे की स्तूपिका छः मीटर ऊंची है।
कुतुब मीनार
दिल्ली की कुतुब मीनार पूरे भारत में प्रसिद्ध है। विजय स्तंभ के रूप में इसकी कल्पना कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी। इसकी ऊंचाई दो सौ अड़तिस फीट है।
कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस मीनार की पहली मंज़िल 1192 में आठ सौ साल पहले बनवाई थी। इसके पष्चात दूसरी, तीसरी और चैथी मंज़िल उसके उत्तराधिकारी षमषुद्दीन इलतुतमिष ने सन् 1211-1236 में बनवाई। इसके बाद 1326 एवं 1368 में गाज गिरने से मीनार की इमारत को नुकसान पहुंचा। तब फिरोज़ शाह ने चारों मंज़िल तोड़कर पांच मंज़िल के मीनार को दोबारा बनवाया।