नई दिल्ली। दिल्ली में दीपावली में फटेंगे बम, जलेगी आतिशबाज़ी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में तीन नवजात बच्चों के हवाले से याचिका दाखिल की गई थी कि दिल्ली में दीवाली के मौके पर आतिशबाज़ी पर रोक लगाई जाए। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली में खतरनाक स्तर तक प्रदूषण पहुंच गया है। ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण का सबसे ज़्यादा असर बुजु़र्गों और बच्चों पर हो रहा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस याचिका में दर्ज मांग को मानने से मना कर दिया है।
केंद्र सरकार के जवाब
सरकार ने साल 2000 में ध्वनि प्रदूषण के मानक तय कर दिए थे। समय-समय पर इनकी निगरानी की जाती है। इस मानक में पिछली बार 2010 में बदलाव हुआ था। नियमानुसार रात दस बजे से सुबह छह बजे तक रात मानी जाती है। ऐसे में इस समय आतिशबाज़ी चलाने, हाॅर्न बजाने की मनाही है।
अलग-अलग जगहों के लिए मानक भी अलग-अलग हैं। जैसे अस्पताल, स्कूल, अदालत के आसपास साइलेंस ज़ोन घोषित किया गया है। पटाखों की आवाज़ के मानक भी तय किए गए हैं।
राज्य सरकार निगरानी अथाॅरिटी नियुक्त करती है जो कि जि़ला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त जैसा कोई अधिकारी हो सकता है। नियमों का उल्लंघन करनेवाले को यह अथाॅरिटी पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत तलब करती है।