दलित समुदाय की नाराजगी को देखते हुए केंद्र सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को पुराने और मूल स्वरूप में लाने का फैसला किया है। 1 अगस्त को कैबिनेट की बैठक में एससी/एसटी एक्ट संशोधन विधेयक के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।
बता दें कि इसी साल 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को दलित संगठन सड़कों पर उतरे थे। दलित समुदाय ने दो अप्रैल को ‘भारत बंद’ किया था। केंद्र सरकार को विरोध की आंच में झुलसना पड़ा। देशभर में हुए दलित आंदोलन में कई इलाकों में हिंसा हुई थी, जिसमें एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार मानते हुए दलित समाज केंद्र सरकार से अपनी नाराजगी जता रहा था। जिसे देखते हुए मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को उसके मूल स्वरूप में लाने का फैसला किया।