औरत अगर दलित हो तो हिंसा के आसार और ज्यादा बढ़ जाते हैं। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के एक गांव में हुआ। मौर्य बिरादरी से दो चचेरी बहनों के साथ तीन भाइयों और उनके दो दोस्तों ने बलात्कार किया। फिर उन्हें मारकर पेड़ पर फांसी से लटका दिया। पूरी रात लड़कियां गायब थीं। परिवार द्वारा सूचना देने के बावजूद पुलिस ने सख्ती नहीं बरती।
ऐसा ही मामला हाल ही में हरियाणा के भगाना जिले में भी सामने आया था, जब दो पिछड़ी जाति की लड़कियों के साथ जाट लड़कों ने बलात्कार किया था। वहां मामला जमीनी विवाद से जुड़ा हुआ था। जिसका बदला लड़कियों से बलात्कार कर जाटों ने लिया। हालांकि औरतों के खिलाफ हिंसा हर जगह हर रूप में होती है। चाहें फिर शक्ति मिल में महिला फोटोग्राफर के साथ बलात्कार हो या फिर दिल्ली में चलती बस में हिंसा। अब बात करें कानून व्यवस्था की। खासकर गांवों में बनी पुलिस चैकियों में बैठे सिपाही और चैकी इंचार्ज जैसे तैसे नौकरी करते हैं। यह लोग भी दबंगों की दबंगई तले दबे रहते हैं। शिकायत करने जाओ तो अक्सर उनका नजरिया ऐसा होता है कि मानों औरत ही गुनहगार है।
मीडिया की बात करें तो वह भी कुछ चटपटा या फिर खौफनाक की तलाश में रहती है। नहीं तो औरतों पर हिंसा लगातार हो रही खबरों की भनक मीडिया को न लगती हो ऐसा हो ही नहीं सकता। बदायूं में घटी घटना क¨ मीडिया को अपनी तरफ खींचा। उम्मीद है कि भविष्य में भी मीडिया ऐसे ही अन्याय क¨ उजागर करेगी।
दलित औरतों पर दोहरा खतरा
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