नई दिल्ली। महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा और बलात्कार के मामले सबसे ज़्यादा अनुसूचित जातियों यानी दलित समुदाय को झेलने पड़ते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो 2014 की रिपोर्ट में यह बात खुलकर सामने आई है।
भारत के सबसे ज़्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ सबसे ज़्यादा अपराध दर्ज होने की बात सामने आई। एक साल में उत्तर प्रदेश में आठ हज़ार पिचहत्तर अपराध दलितांे के खिलाफ दर्ज हुए तो दूसरे नंबर पर राजस्थान रहा।
यहां पर इस बीच आठ हज़ार अट्ठाईस अपराध दर्ज हुए। बिहार में सात हज़ार आठ सौ तिरानवे, मध्य प्रदेश में चार हज़ार एक सौ इक्यावन अपराध और आंध्र प्रदेश में चार हज़ार एक सौ चैदह मामले दर्ज हुए। देश में दलितों के खिलाफ होने वाले कुल अपराधों में से उनहत्तर प्रतिशत मामले इन्हीं पांच राज्यों में होते हैं।
दलितों के खिलाफ होने वाले अपराधों में सबसे ज़्यादा संख्या महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के मामलों की है। औरतों की गरिमा को ठेस पहुंचाने के मामले सबसे ज़्यादा सामने आए। इनकी संख्या दो हज़ार सात सौ बयालिस थी। बलात्कार की दो हज़ार तीन सौ अड़तिस रिपोर्ट दर्ज हुईं। और शारीरिक चोट पहुंचाने वाले मामले तीसरे नंबर पर रहे। आंकड़ों में देखें तो इसके दो हज़ार दो सौ सड़सठ मामले सामने आए। दलितों से संबंधित दंगे चैथे नंबर पर रहे। इनकी संख्या नौ सौ बत्तीस रही। अपहरण के आठ सौ चैरासी मामले सामने आए। अपराधों के ग्राफ में हत्या जैसे मामले छठवें नंबर पर रहे। सात सौ चैरासी हत्याएं इस बीच दर्ज हुईं।
दलितों के खिलाफ हिंसा की रिपोर्ट चिंताजनक
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