त्रिपुरा में 18फरवरी को राज्य विधानसभा की 60 में से 59 सीटों के चुनाव के लिए वोट पड़े। इसमें 78.56 फीसद से अधिक वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
पिछली बार इससे अधिक 91.82 प्रतिशत मतदान हुआ था।
निर्वाचन आयोग की ओर से मिले आंकड़ों के अनुसार, राज्य की 59 सीटों के लिए चुनाव में शाम तक 75 फीसद से अधिक लोगों ने वोट डाले। वोटों की गिनती 3 मार्च को होगी।
त्रिपुरा में कुल 25,73,413 पंजीकृत मतदाता हैं। इनमें से 12,68,027 महिला मतदाता हैं। पहली बार मतदान करने वाले वोटरों की संख्या 47,803 है।
त्रिपुरा में इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायनों में अहम रहा। पहली बार यहां पर माकपा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) और भाजपा में सीधी टक्कर देखने को मिली।
त्रिपुरा में भाजपा ने 51 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि बाकी सीटों पर वह आइपीएफटी प्रत्याशियों का समर्थन कर रही है।
आयोग के अनुसार, माकपा प्रत्याशी एवं निवर्तमान विधायक रमेंद्र नारायण देब बर्मा के निधन के कारण राज्य की चरिलम विधान सभा सीट पर चुनाव को स्थगित कर दिया गया था। इस सीट पर अब 12 मार्च को वोट पड़ेंगे।
माणिक सरकार 1998 से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं। 25 साल से मुख्यमंत्री रहे माणिक को भी पता है इस बार टक्कर कड़ी है इसलिए वह भी चुनाव में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते थे। सीपीएम ने मुख्यमंत्री माणिक सरकार के नेतृत्व में 50 रैलियां की। वहीं, सीताराम येचुरी और वृंदा करात जैसे अन्य वाम दलों ने पार्टी के अभियान को समर्थन दिया।
यही नहीं, त्रिपुरा विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है।
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