फैशन के चलत होली के रंग अब बदरंग होई गे हैं। अब होली खेलैं मा केमिकल वाले रंग, सफेदा, कीचड़ हेंया तक कि पेट्रोल डीजल अउर कीट का इस्तेमाल करत हैं। खान पान मा भांग, दारू अउर मुनक्का का अधाधुंध पिया जात है जेहिसे स्वास्थ्य का भारी नुकसान पहुंचत है। साथै लड़ाई, दंगा, मारपीट का माहौल बन जात है। या माहौल हमरे बीच से ही बनत है। हम अगर चाही तौ या माहौल नहीं बन सकत। अगर या सब हमार ही हाथ मा है तौ हम इनतान का माहौल बनाई कि त्यौहार का असली मजा मिल सकै। होली के त्यौहार के मतलब का नींक से समझा जा सकै।
होली मतलब रंगन के बौछार, साथी के हमजोली हुड़दंग, देवर भौजाई के मजाक, फाग गीतन के धुन, पकवान के उठत खुशबू का माहौल ही आय होली। यहिमा मस्ती है अउर अपनापन भी। जउन हर उमर के लोगन का आपन रंग मा रंग देत है। ना चाहैं के बाद भी हम एक अंजान भीड़ मा शामिल होई जइत हन। अब त्यौहारन के परम्परा मा बहुतै बदलाव आ गा है, पै या त्यौहार का लइके मन मा खुशी अउर उमंग के कमी निहाय। आज भी मड़ई जम के होली का मजा उठावत हैं।
त्यौहार का त्यौहार ही रहैं देव
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