बंदूक, रिवॉल्वर या कोई और हथियार खरीदना हो तो आपको कई नियमों से गुजरना पड़ेगा। लेकिन तेज़ाब आपको कहीं भी बड़ी आसानी से मिल जाएगा- बाथरूम या नाली साफ करने के नाम पर। पर मौजूदा समय में इसका प्रयोग महिलाओं पर हिंसा करने क¢ लिए हो रहा है। 2006 में जब लक्ष्मी नाम की लड़की के ऊपर तेजाबी हमला हुआ तो महिला संगठनों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। लगा असर होगा। लंबे समय के इंतज़ार के बाद जुलाई 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने तेज़ाब की बिक्री को लेकर राज्य सरकारोें के लिए निर्देष जारी किए। लेकिन राज्यों ने इसे अब भी गंभीरता से नहीं लिया। दिषा निर्देषों की अनदेखी कर आज भी दुकानों में धड़ल्ले से सस्ते दाम में तेजाब बिक रहा है। भारत के पड़ोसी देष बंग्लादेष ने बढ़ती घटनाओं को देखते हुए 2011 में तेजाब बिक्री के लिए नियम बनाए। वहां किसी व्यापारिक संस्थान में पंजीकृत लोग ही तेज़ाब खरीद सकते हैं। इस व्यापार में लगने वालों के पास सरकारी लाइसेंस होना चाहिए। साथ ही तेज़ाब खरीदने वाले का नाम भी दुकानदार के द्वारा नोट करने का प्रावधान है। महिला संगठनों और तेज़ाब हमलों के खिलाफ काम करने वाली संस्थाओं की मांग है कि इसे महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के इस्तेमाल में लाए गए हथियार की तरह ही देखना चाहिए। जैसे अन्य हथियारों के लिए लाइसेंस जरूरी हैं, वैसे ही तेजाब बेचने के लिए दुकानदार के पास लाइसेंस होने का नियम बने। जैसे दवाइयों को खरीदने के लिए डाक्टर से लिखवाना जरूरी होता है, वैसे ही इसे खरीदने के लिए भी खरीददार को थाने से अनुमति लेनी चाहिए। उम्मीद है तेजाब की बिक्री पर जल्द ही लगाम लग सक¢गा।
तेज़ाब की बिक्री पर लगाम जरूरी
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