तिहाड़ जेल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी पुरुष कैदियों की जेल को पूरी तरह से किसी महिला अफसर के हवाले किया गया हो। जी हाँ, तिहाड़ की एक पुरुष जेल का जेलर महिला अफसर को बनाया गया है।
इस महिला जेलर का नाम है अंजू मंगला। दानिक्स अफसर अंजू पहले तिहाड़ की विमिन जेल नंबर-6 की जेलर थीं। यहां उनके शानदार काम से प्रभावित होकर उन्हें पुरुष जेल की कमान संभालने का मौका दिया गया है।
अंजू मंगला ने एक अंग्रेजी अख़बार को बताया कि वह इस जिम्मेदारी से बहुत खुश हैं। यह मेरे लिए एक बड़ा चैलेंज है।
इस जेल में 18 से 21 साल वाले 800 से अधिक नौजवान विचाराधीन कैदी हैं, जो कि सबसे अधिक चोरी और जेबतराशी करने के आरोप में यहां बंद हैं। दूसरे नंबर पर लूट और तीसरे नंबर पर बलात्कार के आरोप में इन्हें गिरफ्तार करके यहां लाया गया है।
जेलर अंजू मंगला बताती हैं कि इन्हें व्यस्त रखने के लिए वह इनसे तरह–तरह की गतिविधियां कराती हैं। सुबह पीटी और मार्च पास्ट कराने के बाद करीब चार घंटे इन्हें पढ़ाया जाता है। इनमें जो अनपढ़ हैं, उन्हें लिखना–पढ़ना सिखाया जा रहा है और जो कम पढ़े–लिखें हैं। उन्हें और आगे की शिक्षा दिलाई जा रही है। कुछ विचाराधीन कैदी यहां स्नातक भी कर रहे हैं, जबकि 50 से अधिक ऐसे कैदी हैं जो 10वीं से 12वीं तक की पढ़ाई कर रहे हैं।
इनके एग्जाम भी जेल में ही होते हैं। जेल के अंदर इनको स्वस्थ बनाए रखने के लिए करीब दो घंटे तक हर रोज खेल खिलाए जाते हैं।
महिला जेलर कोशिश करती हैं कि वह हर दिन तमाम कैदियों से खुद मिलें, ताकि उनकी समस्याओं को जानकर उन्हें सुलझाया जा सके।