19 फरवरी को तिब्बत में नया साल – ‘लोसार’ मनाया गया। इसे ज़्यादातर तिब्बत में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग नए साल के रूप में मनाते हैं।
‘ताशी देलेक’ कहकर लोग एक दूसरे को लोसार की बधाइयां देते हैं। सबसे मज़ेदार बात तो ये है कि तिब्बत में इस नए साल का जश्न पूरे पंद्रह दिनों तक चलता है। हर दिन का अपना महत्व होता है।
बौद्ध धर्म मानने वालों के पूजा घरों या मठ में नए साल के लिए तैयारियां दो दिन पहले से होने लगती हैं। यहां के पुजारी या सन्यासी मठ की साफ-सफाई से काम शुरू करते हैं। इसके बाद नए साल में सुख और शांती के लिए एक खास पूजा की जाती है।
लोसार भारत और नेपाल के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है। जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र, उत्तर पूर्वी भारत के अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम राज्यों के कुछ समुदाय भी बौद्ध धर्म को मानते हैं, वे भी इस नए साल को मनाते हैं।
ताशी देलेक – तिब्बत का नया साल
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