लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पिछले 45 दिनों में चार पत्रकारों की हत्या हो चुकी है। 25 अगस्त को बुलंदशहर में सड़क किनारे एक पत्रकार की लाश मिली तो 23 अगस्त को इटावा में भी एक पत्रकार की हत्या की गई। 18 जुलाई को बांदा में रेलवे ट्रैक के पास एक स्थानीय पत्रकार का शव मिला। ऐसा ही एक मामला लखीमपुर खीरी में भी सामने आया था।
बुलंदशहर में सड़क के किनारे एक बैग में 28 साल के जकाउल्लाह नाम के पत्रकार की लाश मिली। जकाउल्लाह खुर्जा कस्बे के निवासी थे। वो 23 अगस्त की रात से ही लापता थे। इससे पहले पचास साल के एक वरिष्ठ पत्रकार राकेश शर्मा की हत्या इटावा में कर दी गई थी। बांदा में रेलवे ट्रैक में एक पत्रकार की लाश मिली। 35 साल के शशांक शुक्ला बांदा के शंकर नगर के रहने वाले थे। किसी मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
द पायनियर के पत्रकार अंजनी कुमार निगम ने कहा पत्रकार आउट एरिया में खबर करने जाते हैं तो पुलिस को पता होना चाहिए। दुर्घटना, हत्या होने पर परिवार को मदद मिलनी चाहिए। अभी तक पत्रकारों के लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। दैनिक जागरण बांदा में ब्यूरो चीफ कुलदीप कुमार ने कहा कि पत्रकार हमेशा असुरक्षित हैं। कार्यालयों में पुलिस सिक्योरिटी होनी चाहिए। पत्रकारों के पास लाइसेन्स होना चाहिए।
डेढ़ महीने में चार पत्रकारों की हत्या
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