जिला बांदा। यहां बारह किलोमीटर की दूरी में बसा लामा गांव डेंगू की चपेट में है। 22 सितंबर तक पांच मरीजों को कानपुर के लिए रिफर किया जा चुका है। पांच हजार आबादी वाले इस गांव में हर घर में दो से तीन लोग बुखार में जकड़े हैं। अभी तक वहां पर स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची है।
लामा गांव के वार्ड नंबर नौ में रहने वाले भागवत स्वरूप मुकेश अरविंद सुखदेव और अजय डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दिखाया तो दवा दी गई। पर कोई आराम नहीं मिला। बांदा के प्राइवेट अस्पताल में दिखाया तो हमें कानपुर रिफर कर दिया गया। जहां पता चला कि हमें डेंगू है। अभी तक अस्सी नब्बे हजार रुपए खर्च हो चुके हैं। सरकारी अस्पताल में गांव में न जांच की सुविधा है और न इलाज की। गांव के वंश गोपाल ने बताया कि उन्हें 7 सितंबर से बुखार आ रहा है। हल्की ठंडी भी लग रही है। हाथ पैरों में जलन हो रही है। घुटनों में दर्द है। अस्पताल में जांच की सुविधा नहीं है। परिवार में भाई बच्चे और बहू सभी बीमार हैं। क्या पता कि डेंगू है या और कुछ।
न जांच न इलाज और न बचाव
लामा गांव में घुसते ही जगह जगह लगे कूड़े के ढेर और बजबजाती नालियां नजर आती हैं। कई जगहों पर बड़े बड़े गड्ढों में गंदे पानी का भराव है। कुल मिलाकर गंदगी का अंबार है यह गांव। गांव के लोगों ने बताया कि यहां तीन साल से सफाई नहीं हुई है। कोई सफाईकर्मी यहां नहीं आता। न ही कोई छिड़काव करवाया गया। गांव में तालाब है उसमें बरसात का गंदा पानी भरा रहता है। सड़क किनारे बड़ा नाला है। गांव की आशा कर्मी रानी का कहना है कि सूचना देने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की टीम यहां नहीं आ रही है। यहां पर बहुत लोगों में डेंगू के लक्षण हैं। मगर कहां जांच कराने जाएं कानपुर जैसी जगहों में जाने के लिए बहुत खर्चा होता है।
प्रधान हनुमान यादव ने बताया कि यहां के सरकारी अस्पताल में एक भी डाक्टर नहीं है। जांच की कोई सुविधा नहीं है।
डेंगू की चपेट में गांव
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