बनारस में सरकार आदेश देहले हयन कि एक आटो में तीन सवारी बइठीयन। लेकिन आटो वालन इ आदेश के पालन नाहीं करत हयन। अगर करत भी हयन त पचास प्रतिशत किराया बढ़ा देले हयन। जहाँ दस रूपया किराया लगत रहल वहां अब पन्द्रह रूपिया लेलन। आखिर एतना ज्यादा किराया काहें बढ़ गएल। गरीब जनता त अहिसहीं नाहीं पेट चला पावत हव अब एतना ज्यादा किराया बढ़ले के बाद त उ सफर करब छोड़ देहियन। जे रोज रोज सवारी से आवे जाए वाला हव ओकर का होई?
डीजल त दू रूपया लीटर बढ़ल हे। लेकिन किराया त दु गुना तीन गुना बढ़ गयल हव। का प्रशासन एकरे खातिर कुछ नाहीं सोचत हव कि सफर करे वालन के केतन परेशानी उठावे के पड़त हव। जे लोग सब्जी बेचत हयन या आउर कउनों दुकान लगावे के काम करत हयन। उ लोग पचास रूपया कमहियन तो तीस रूपिया किराया में लग जाई। उ पइसा से उ घर वालन के पेट चलइयन कि आपन दू पइसा बचा के रखियन। जे रोज सफर करके आवत जात हव ओकरे खातिर त गरीबी में आटा गिला करे वाली बात हो गएल हव। किराया के लेके आटो वालन गाली गलौच भी करत हयन। इहां तक कि महिला के मारे भी उठ जात हयन। सरकार एपर धियान ना देई त आटो वालन एकदम चढ़ जात हयन। बरसात के त दिन हव चाहे भी जैसे मजबूरी में इंसान सफर करबे करी।
डीजल के नाम पर बढ़ल किराया
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