डिलेवरी के समय डाक्टरन के लापरवाही से आय दिन मेहरियन के मउत का मामला सउहें आवत हैं। इं मामलन का न सरकार रोक पावै न यहिके खातिर कउनौ खास उपाय करत है।
जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती मेहरियन का सुरक्षा दें के बात कही जात है, पै सुरक्षा के जघा उनका असुरक्षा के मुंह समाय का परत है। मेहरियन का अस्पताल मा न नींक व्यवस्था मिलै न सेंत मा दवाई। सरकार कइत से भेजी गे सेंत मा सरकारी सुविधा का सउदा डाक्टर अउर ए.एन.एम. अस्पताल घुसै के पहिले ही कर लेत हैं। आखिर इनतान के बात से सरकार काहे अनजान बनै के कोशिश करत है। डिलेवरी प्वाइंट घोषित अस्पताल अउर उपकेन्द्रन मा खून के व्यवस्था काहे नहीं कीन जात आय? गर्भवती मेहरियन के देह मा खून के कमी या फेर डिलेवरी के बाद खून जाय के बात डाक्टर खुदै बतावत है। मेहरियन के मउत होय का यहै खास कारन डाक्टर भी बतावत है। इनतान के समस्या से निपटै खातिर का सरकार के पास कउनौ उपाय निहाय। का मेहरियन के मउत यहिनतान होत रही। ए.एन.एम. अउर डाक्टरन के लापरवाही तौ आम बात के बराबर है। उंई तौ अब भगवान से ज्यादा शैतान के रूप मा नजर आत हैं।
यहिका जियत जागत उदाहरन महुआ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मा बच्चा जन्मैं के बाद गौरा के मउत है। परिवार अउर गांव के मड़ई तीन घण्टा चक्का जाम करिन तबै डाक्टर अउर ए.एन.एम. के खिलाफ रिपट लिखी गे। जनता के दबाव से रिपट तौ लिख गे, पै विभाग के डाक्टर अउर ए.एन.एम. के ऊपर का कड़ी कारवाही होई पाई ।
डिलेवरी के दौरान बढ़त जात मउत
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