जि़ला लखनऊ। यहां के दौलतगंज मोहल्ले के रामबाबू वाजपेयी का आरोप है कि डफरिन अस्पताल के डाॅक्टरों की लापरवाही से उसकी तीन माह की बेटी का पैर कटवाना पड़ा।
बच्ची की मां पूजा ने बताया, ‘‘12 अक्टूबर को बिटिया को दस्त आए थे। मेरा बच्चा डफरिन में ही हुआ था इसलिए हम उसे वहीं ले गए। बच्ची को एस.एन.आई.सी.यू. में भर्ती करना पड़ा लेकिन वहां कोई डाॅक्टर नहीं थे। एक स्टाफ नर्स थी। नर्स ने बच्ची को दवा चढ़ाने के लिए पैर में वीगो लगाया। कई बार प्रयास के बाद वह दाहिने पैर में वीगो लगा पाई। रात को करीब 12 बजे एक डाॅक्टर आए लेकिन दौरा करके चले गए कोई सुझाव नहीं दिया।’’
रामबाबू ने बताया, ‘‘14 अक्टूबर कोे बच्ची की पैर की उंगलियां नीली पड़ने लगीं। हमने कई बार डाॅक्टर को कहा तो वे कहते रहे कि कोई बात नहीं ठीक हो जाएगा। 16 अक्टूबर तक धूटने से नीचे पूरा पैर नीला हो गया। तब उन्हांेने कहा कि इसका यहां इलाज नहीं है, आपको केजीएमयू मेडिकल काॅलेज में रेफर कर दिया गया है। वहां जगह खाली नहीं थी। 17 अक्टूबर को भर्ती किराया। वहां के डाॅक्टरों ने जब जांच की तो कहा कि इसके पैर में जो वीगो लगाया है उससे बच्चे को गैंगरीन (एक तरह का ड्राई इंफैक्शन) हो गया है। यहां भी एक महीने इलाज चला। आखिरकार 17 नवंबर को मेरी मासूम बच्ची का पैर काटना पड़ा। हमने इंसाफ के लिए स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और जि़ले के सीएमओ को आवेदन दिया है। सीएमओ ने 11 जनवरी को ही जांच टीम का गठन करके जांच करवाने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है।’’
डाॅक्टर की लापरवाही से गया बच्ची का पैर
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