किसानों की मदद करने के लिए अखिलेश यादव की योजना डायरेक्ट ट्रांसफर पर आधारित है। मगर क्या ये योजना बुंदेलखंड में काम करेगी?
सितम्बर 2014 में राज्य के लाखों किसानों की सहायता के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम’ शुरू की। जबसे 36 लाख किसानो ने अभी तक ऑनलाइन पंजीकरण करवा लिया है और उन्हें किसान विशिष्ठ पहचान पत्र भी मिल गए हैं। इस योजना के अंतरगत किसान उदाहरण के लिए गेहूं 3000 रुपए प्रति सेर 2015-16 के रबी सीज़न के लिए सरकारी बीज केन्द्रों से खरीद सकते हैं और 1400 रुपए का सब्सिडी / आर्थिक सहायता / अनुदान अपने बैंक खातों में 15 दिन के अंदर वापस पा सकते हैं। इस योजना को कृषि क्षेत्र की 2 और समस्याओं से निपटने के लिए बनाया गया है – दलाल या बिचैलिए और छोटे बड़े किसानों को बराबर का फायदा न मिलना।
मगर क्या बुंदेलखंड में ये योजना ठीक से काम कर रही है? खबर लहरिया ने चित्रकूट जि़ले में किसानों और योजना को लागू करनेवाले अफसरों से बात की।
पहचान पत्र नहीं तो अनुदान नहीं
बिहरा गांव, कर्वी ब्लॉक के किसान कल्लू रामसजीवन का कहना है कि विभाग से बीज मिलना मुश्किल नहीं। मुश्किल है किसान विशिष्ठ पहचान पत्र मिलना जिसके लिए विभाग के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। और जिसके बिना बीज नहीं मिलते। किसान विशिष्ठ पहचान पत्र के लिए कई दस्तावेज़ दिखाने ज़रूरी होते हैं – बैंक पासबुक, खसरा /कसौनी के ज़मीनी रिकॉर्ड, फोटो ,पहचान पत्र आदि। एक बार किसान का विशिष्ठ पहचान पत्र तैयार हो जाने पर, इसके साथ पंजीकरण की प्रति और दूसरे कागज़ात ले जाकर योजना का लाभ उठाया जा सकता है। मगर कल्लू रामसजीवन ने बताया, ‘बीजों की गुणवत्ता अच्छी है मगर ये बाज़ार से ज्यादा महंगे हैं।’ उसे अनुदान राशि भी अभी तक नहीं मिली है। उसने पूरे पैसे 2 महीने पहले दे दिए थे। कुछ ऐसी ही तस्वीर मऊ ब्लॉक के भीतारी गाँव में दिखी। किसानों ने विभाग से बीज खरीदे है मगर उन्हें अनुदान राशि वापस नहीं मिली है।
किसने इस योजना के बारे में सुना है?
चित्रकूट जि़ले के डिप्टी डायरेक्टर जगदीश नारायण के अनुसार इस योजना को अक्टूबर में लागू किया गया। ऐसा लगता है कि किसानों का पंजीकरण पिछले साल ही शुरू हो गया था मगर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ था। जिन 22 हज़ार किसानों ने पंजीकरण किया था उनमें से सिर्फ 40 को ही अनुदान राशि प्राप्त हुई। पहाड़ी ब्लॉक के दरसेड़ा गाँव में संभु किसान ने बताया कि उसने कभी इस योजना के बारे में सुना ही नहीं, ‘आप ही से सुन रहे हैं।’
सूखे का प्रभाव
बुंदेलखंड के सारे जि़लों को सूखे से ग्रस्त घोषित कर दिया गया है। रामनगर ब्लॉक के खजुरिया गाँव के किसानों का कहना है कि योजना तो चल रही है मगर बीज खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। मानिकपुर ब्लॉक के किसान किशन का कहना है, ‘यहाँ बड़े किसानों को फायदा है, उनके पास पैसा है इसलिए वे अपना खेत जोत पाएंगे।’