मुज़फ्फरनगर दंगों को हुए पूरा एक साल हो गए हैं। राहत कैंप लगभग हटाए जा चुके हैं। कईयों को मुआवजा भी मिल गया। लोगों ने अपने घर बनाने शुरू कर दिए हैं। बच्चों ने पढ़ाई शुरू कर दी है। बड़ों ने काम धंधों पर जाना शुरू कर दिया है। लेकिन दंगों का सामना करने वालों में अभी भी दंगों का दर्द बाकी है। उनके मन में असुरक्षा भी बढ़ती जा रही है।
दंगों के दौरान हिंसाग्रस्त गांव फुगाना, कुटबा से आए कई लोग अपने घर शामली जिले की कैराना ग्रामसभा में बनवा रहे हैं। असुरक्षा और डर की वजह से लोग अपने ही लोगों के बीच रहना चाहते हैं। अपने गांव वापस लौटना अब मुमकिन नहीं है। इसलिए अब यह नए सिरे अपने घर बसा रहे हैं।
सरकार, प्रशासन और गैर सरकारी संगठनों की जिम्मेदारी इस खाई को पाटने की होनी चाहिए थी। लेकिन इस बीच सहारनपुर, मेरठ और मुरादानगर में भी हुए दंगों को रोकने में प्रशासन नाकाम रहा। इतना ही नहीं लव जिहाद के नाम पर एक खास समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश लगातार हो रही है। दंगों में भड़काऊ ऽभाषण देने के आरोपी संगीत सोम को जेड प्लस सुरक्षा दी गई है। जबकि अभी तक फुगाना और लाख गांव में जिन छह औरतों का बलात्कार हुआ था, उनके आरोपी फरार हैं। डर और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। इन दो समुदायों के बीच लगातार दूरी बढ़ती जा रही है। छोटी छोटी बातें भी बड़ी हिंसा का रूप ले रही हैं। जल्द ही कानून और प्रशासन को सख्त और कढ़े कदम उठाने चाहिए। जिससे हंगामा खड़ने करने वालों पर लगाम लगाई जा सके।
डर और असुरक्षा छोड़ गए दंगे
पिछला लेख