जिला चित्रकूट की नई बस्ती और ललितपुर के करौंदा गांव के लोग बरसात और ठण्ड की मार झेल रहें हैं। हाल ये है कि घरों पर पन्नी डाल कर गुजरा करना पड़ता है। बार-बार दरखास देने के बाद भी इन लोगों को अभी तक आवास नहीं मिले हैं।
करौंदा गांव में दलित आदिवासियों के बीस परिवार हैं। इन लोगों का कहना है कि हम को आवास नहीं मिल रहा है।हम लोगों ने कई बार बीडीओ से शिकायत की है लेकिन प्रधान आवास नहीं बनने दे रहा है हम लोगों को बाहर खाना बनाना पड़ता है और लेटने की जगह भी नहीं है। करौंदा गांव की सोमवती का कहना है कि घर गिरने के कारण हम अन्दर नहीं सोते हैं इस तरह की ठण्ड में बाहर सोते हैं बरसात में किसी तरह पन्नी डाल कर गुजारा करते हैं।
ग्राम पंचायत अधिकारी जीशान उस्मानी का कहना कि 2011 की सूची के सभी लोगों के नाम अभी नहीं आये हैं जिन लोगों के नाम आवास के लिए आ गये हैं उनको आवास दे दिये गये हैं कोई पात्र लोग आवास के लिए नहीं छूटे हैं।
सत्तर साल से बसी अकबरपुर की नई बस्ती में अभी तक कोई विकास नहीं हुआ है यहां लोग अभी भी आवास के लिए भटक रहें हैं। हीरालाल ने बताया कि बरसात में जब पानी बरसता है तो पूरा घर टपकता है तब सब जगह बर्तन लगाना पड़ता है पहाड़ के नीचे रहतें हैं तो कीड़े मकोड़े का डर भी रहता है गल्ला का कहना है कि हम पत्थर तोड़ने का काम करते हैं आवास के लिए बहुत दूर-दूर गये हैं लेकिन हमारी सुनवाई नहीं होती है।
प्रधान प्रतिनिधि नत्थू लाल वर्मा का कहना है कि जो लोग आवास के लिए छूट गये हैं उन दो ढाई सौ लोगों की नई सूची बना कर दे, दी गयी है। बीडीओ कुलदीप कुमार का कहना है कि 2011 की सूची के आधार पर लोगों को आवास दिए गये हैं छूटे लोगों की सूची भेजी जाएगी तब उनको आवास मिलेगा।
बाईलाइन-सुषमा और नाजनी रिजवी
23/11/2017 को प्रकाशित