एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने लोकसभा में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग पहचान और इस समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए एक विधेयक पेश किया।
ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल, 2016 ने ट्रांसजेंडर लोगों के साथ भेदभाव दूर करने और इन्हें खुद अपनी लैंगिक पहचान का अधिकार देने की कोशिश है। इस विधेयक को अब सरकार ने लोकसभा में पेश किया है। इस विधेयक का मकसद ट्रांसजेंडर समुदाय को सशक्त बनाना और भारत में इन लोगों के खिलाफ अपराध करने वाले को कड़ी सजा देने का प्रावधान है।
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में छह लाख ट्रांसजेंडर लोग हैं। ये ऐसे लोग हैं तो अपने को महिला या पुरुष नहीं मानते। इन्हें हिजरा, किन्नर, कोथी, अरावानी जैसे नाम से पहचाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस विधेयक को 20 जुलाई को ही स्वीकृति दी जा चुकी है।
क्यों लाया गया यह बिल…
– संशोधन में सरकार ने ट्रांसजेंडर लोगों को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से सशक्त बनाने की प्रणाली विकसित की है। नए कानून से इस समुदाय को समाज में हिंसा, शोषण और भेद भाव से लड़ने में मदद मिलेगी।
-ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज में शिक्षा सुविधाओं, बेरोजगारी और चिकित्सा सुविधाओं की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
-निजी सदस्य विधेयक राज्यसभा सांसद तिरूचि शिवा द्वारा 24 अप्रैल, 2015 को राज्य सभा में विधेयक पेश किया गया गया था।
-यह 45 साल में पहली बार है कि संसद के उच्च सदन ने एक निजी सदस्य विधेयक को सदन द्वारा पारित किया गया।
-सदन में व्यापक विचार विमर्श के बाद लोकसभा में सरकार ने बिल लाने का आश्वासन दिया।
गत वर्ष अप्रैल में इसी मसले पर राज्यसभा ने एक निजी बिल पास किया था।