लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हर साल टी.बी. से मरने वालों की संख्या बीस हजार है। इस तरह से देखें तो हर औसतन रोज चैवन लोग रोज उत्तर प्रदेश में मरते हैं। दस साल पहले और आज की तुलना करें तो अब इनसिफेलाटिस से मरने वालों की संख्या करीब तैंतिस गुना हो गई है। डेंगू से मरने वालों की संख्या सौ गुना और स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या आठ सौ गुना हो गई है। विश्व टी.बी. जागरुकता के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए राज्य स्वास्थय मंत्री नितिन अग्रवाल ने 25 मार्च को एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में दूसरा चैंकाने वाले आंकड़े और भी खतरनाक थे। इसके अनुसार बच्चों की मौत का कारण बने दूसरे दस प्रमुख कारणों में भी एक टी.बी है।
उत्तर प्रदेश में पिछले एक साल में बीस हज़ार लोगों की मौत टी.बी. से हुई। इसमें से बारह हजार लोग सरकारी नौकरी करते थे। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया ने कि पिछला साल टी.बी. के खिलाफ अभियान चलाने के लिए समर्पित किया गया था। हम आगे भी टी.बी. खतम करने के राष्ट्रीय कार्यक्रम मे ज़रूरी बदलाव करेंगे।
टी.बी. से रोज़ होती हैं चैवन मौतें
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