दुनिया में तपेदिक यानी टीबी के एक करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें 27 लाख से ज्यादा भारत में दर्ज किए गए।
टीबी को दूर करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सूचना जारी की है जिसके अनुसार अगर डॉक्टर या स्थानीय अधिकारियों ने टीबी की बिमारी से मरीज को सूचित नहीं करवाया या मरीजों का इलाज नहीं किया गया तो उसे धारा 290 के तहत 6 माह से दो साल तक की सजा और जुर्माना भुगतना हो सकता है।
एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार चिकित्सा संस्थानों, अस्पताल, क्लीनिक आदि सभी पर तपेदित की दवा भी मरीज को दी जाएंगी साथ ही इस तरह के किसी भी मरीज के साथ भेदभाव का व्यवहार ना करने का भी सरकार का अश्वासन है।
वहीं, मरीजों के हित को देखते हुए 2012 में भारत में तपेदिक को एक सूचनात्मक रोग बनाया गया था, लेकिन उस समय इसमें दंड या कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं था। मंत्रालय ने प्रयोगशालाओं और चिकित्सा चिकित्सकों, क्लीनिकों, अस्पतालों, नर्सिंग होम आदि के लिए इसको लेकर अलग रिपोर्टिंग प्रारूप जारी किए हैं।
आंकड़ों के अनुसार साल 2016 में टीबी के रोग से 432,000 भारतीयों की मौत हुई थी, यानि प्रतिदिन 1183 से ज्यादा लोग टीबी से मरे थे।