जिला वाराणसी, ब्लाक हरहुआ, गावं भोहर, बड़ा लालपुर चांदमारी राजभर बस्ती। इहां पर लगभग दस घर हव लेकिन अभहीं तक कोई के आवास नाहीं मिलल हव लोग झोपड़ पट्टी लगा के रहलन।
इहां के चनरा, कान्ती, प्रमिला इ लोगन के कहब हव कि हमने के इहां रहत एक पीढ़ी बीत गएल हव। लेकिन अभहीं तक आवास नाहीं मिलल हव। झोपड़ पट्टी लगा के हमने आपन गुजारा करल जाला। लेकिन हमने के आवास नाहीं मिलल। केतना बार हमने प्रधान से कहे लेकिन कउनों सुनवायी नाहीं भयल। जे हव सब लोग अपने बनवावे के चक्कर में हव। कोई गरीबन के नाहीं सुनत हव। हमने के आदमी लोग गारा मिट्टी करलन ओतने में हमने के पेट चलब मुश्किल हो जाला हमने घर कहाँ से बनवावल जाई।
अहिसहीं कुछ हाल हव भोहर गावं के। इहां के अब्दुल रहमान के कहब हव कि हम पचास साल से इहां रहत हई। लेकिन अभहीं तक हमके आवास नाहीं मिलल हव। एनकर कहब हव कि हमने के रहे के ठेकाना नाहीं हव। हमने के पास एतना पइसा नाहीं हव कि हमने घर बनवाई। चुनाव आवला त लोग आवलन आउर नया नया वादा करके जालन। वादा तो पुराना हो जाला लेकिन पूरा नाहीं होत। सब लोग कहला कि जीतले के बाद हम इ करवा देब हम उ करवा देब। लेकिन जीतले के बाद कोई के अता पता नाहीं रहत।
हमने सोचल जाला कि अगर हमने वोट देवल जाई त कुछ हमने खातिर के सोचीयन लेकिन नाहीं। जे हव सब अपने में हव। हमने केसे कहल जाय कहीं भी त हमने के सुनवायी नाहीं हव। प्रधान से भी कहल जाई त ओन भी नाहीं सुनतन। इ सब के बारे में बड़ा लालपुर गावं के प्रधान आशा देवी के कहब हव कि आवास आएल रहल दे देहली अब आई त देब। भोहर गावं के प्रधान राजेश गुप्ता के कहब हव कि दू पुराना आवास आएल रहल। उ दलित बस्ती में बनल हव। आउर आई त देब।