इन दिनों एक अफवाह खूब फैलाई जा रही है कि हिन्दू धर्म के लोगों की संख्या बहुत तेजी से घट रही है जबकि मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या उतनी ही तेजी से बढ़ रही है। ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि हिन्दू धर्म को मानने वालों की आबादी को खतरा है। इस डर या अफवाह के कारणों को देखें।
धर्म के आधार पर हुई जनगणना का विश्लेषण करें। हिन्दुओं की आबादी करीब सत्तानवे करोड़ है और मुस्लिम करीब सत्रह करोड़ हैं। मतलब हिन्दू मुस्लिमों की आबादी के पांच गुना से भी ज्यादा हैं। 2001 से 2011 की रिपोर्ट में जनसंख्या बढ़ने का प्रतिशत देखें तो हिन्दू करीब सत्रह प्रतिशत की दर से बढ़े हैं तो मुस्लिम करीब साढ़े चैबीस प्रतिशत की दर से बढ़े हैं। अब पिछली रिपोर्ट को भी देखें। 1991 से 2001 मे हिन्दू करीब बीस प्रतिशत की दर से बढ़े थे तो मुस्लिम साढ़े उन्तीस प्रतिशत की दर से। यानी मुस्लिम आबादी की दर इस बार करीब पांच अंक गिरी है जबकि हिन्दू आबादी की दर तीन गुना गिरी है। साफ है मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ने की दर ज्यादा कम हुई है।
अब जरा देखें मुस्लिम आबादी को हिन्दू आबादी के बराबर आने में कितना समय लगेगा। 1991 से 2001 की दर को आधार बनाएं तो द¨ स© बीस साल लगेंगे और इस बार को आधार बनाएं तो द¨ स© सत्तर साल। कुल मिलकर ये डर काल्पनिक ही साबित होता है।
गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ ने तो बयान जारी कर दिया कि हिन्दू धर्म को खतरा है, मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या को काबू करने के जल्द कुछ उपाय करने होंगेे। दरअसल ये पूरा डर ही हिन्दू कट्टरवादी सोच का ही नतीजा है। जिसे ये कट्टरवादी गुट जोर शोर से फैला रहे हैं।