लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 12 नवंबर से करीब 18 हजार राज्य कर्मचारी हड़ताल पर हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की अगुवाई में ये हड़ताल शुरू हुई है। राज्य के अलग-अलग सरकारी विभागों के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारियों ने घोषणा की है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानीं गईं तो 15 नवंबर के बाद सभी सरकारी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी। कर्मचारियों के अनुसार प्रदेश सरकार ने उनसे कुछ वादे किए थे, लेकिन वोे पूरे नहीं किए।
हड़ताल में ज़्यादातर सरकारी विभागों के स्टेनेग्राफर और अस्पतालों में सभी जांच करने वाले लैब टैक्नीशियन हैं। इसके अलावा लखनऊ सचिवालय में भी वेतन न बढ़ने से कर्मचारी नाराज़ हैं। यू.पी. सचिवालय के अपर निजी सचिव संघ के अध्यक्ष अमर सिंह ने बताया कि यहां पर भी कर्मचारी वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
मुख्य मांगें – वेतन बढ़ाना, स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना, प्रमोशन की नीति को पारदर्शी बनाना, कई विभागों में सीधे भर्ती करना।
हड़तालियों के खिलाफ सरकारी निर्देश
इन दिनों काम से गैर हाजिर कर्मचारियों की उस दिन छुट्टी मानी जाएगी।
दिन में तीन बार हाजिरी जांचने के निर्देश। ऐसे कर्मचारी जो धरना प्रदर्शन और जुलूस में शामिल हैं, जिनसे शांति व्यवस्था भंग होने का खतरा है, उनके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज की जाएगी।
सार्वजनिक और व्यक्तिगत संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर भी सख्त कार्यवाही होगी। हड़ताल में शामिल न होने वालों को सुरक्षा दी जाएगी।
सूने पड़े सरकारी दफ्तर
जिला बांदा। जि़ले के सरकारी विभागों में राज्य कर्मचारी अधिकार मंच की प्रमुखता में शुरू हुई हड़ताल का असर साफ दिखाई पड़ रहा है। जि़ले के विभिन्न विभागों के हज़ारों कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कर्मचारी नेताओं ने घोषणा की है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो 15 नवंबर के बाद सारी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी।
सिंचाई विभाग के बाबू कल्लू ने बताया धरने में राजस्व विभाग, सिंचाई विभाग और विकास भवन के लगभग दो सौ कर्मचारी शामिल हैं। यहां सालों से पद खाली हैं। सारा काम सीमित कर्मचारियों से करवाया जाता है लेकिन वेतन नहीं बढ़ता। पेंशन भी नहीं मिलती। विकास भवन कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रीता सिंह का कहना है कि जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं तब तक हड़ताल शुरू रहेगी।