समुदाय, जाति और परिवार की झूठी इज़्ज़त के नाम पर औरतों की हत्या की जा रही है। जीवन साथी चुनने का अधिकार पंचायतें और परिवार लड़कियों को देने के पक्ष में नहीं हैं। ताज़ा मामला किसी गांव, कस्बे का नहीं बल्कि दिल्ली का है। राजधानी में ऐसी घटना का होना और भी शर्मनाक है।
इक्कीस साल की एक लड़की ने दूसरी जाति के जीवनसाथी को चुनने का साहस किया तो उसकी हत्या कर दी गई। उच्च शिक्षा प्राप्त परिवार की यह पहली घटना नहीं है। 2002 में नीतीश कटारा की हत्या के मामले में नीतीश ने जाने माने समाजवादी नेता डी.पी. यादव की बेटी से शादी की थी। शादी के कुछ ही दिनों बाद लड़की के भाईयों ने पैसा लेकर हत्या करने वाले एक पेशेवर गुंडे के साथ मिलकर नीतीश की हत्या कर दी थी। ऐसे में समझा जा सकता है कि ऐसी घटनाओं को रोकना कितना कठिन है?
समुदाय और पंचायतें यहां तक कि सरकार में मंत्री भी सार्वजनिक मंचों में लड़कियों को फोन इस्तेमाल न करने, पहनावा ठीक रखने के बयान देते हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान मुलायम सिंह ने एक बलात्कार के मामले में कहा था कि लड़कों से अक्सर गल्तियां हो जाती हैं। यह बयान सरकार में बैठे लोगों की मानसिकता को साफ तौर पर दिखाता है। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2012 में केंद्र सरकार और इज्जत के नाम पर होने वाली सबसे ज़्यादा हत्याओं वाले आठ राज्यों को आदेश जारी कर एक व्यापक रिपोर्ट सौंपने और कढ़े कानून बनाने का आदेश जारी किया था। लेकिन न तो वह रिपोर्ट सौंपी गई और न हीं कानून बना। बचपन से ही लड़कियों को खानदान की इज़्ज़त के साथ जोड़कर देखने वाले नजरिए को बदलने के लिए सरकारी और सामाजिक दोनों ही तरह के प्रयास करने होंगे।
झूठी इज़्ज़त के नाम पर हत्या
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