जिला झाँसी, टपरिया गांव में किसानन ने दई खर पतवार मारबे वाली दबाई।लेकिन दबाई ने नई करो अरस अब आदमियन को काम भी बढ़ गओ। और दबाई के रुपजा भी बेकार गये।
एक दबाई की शीशी की कीमत बारा सौ रुपजा हें।और फायदा बारा रुपजा की नई भई।
सुखदेव,पुष्पेन्द्र और भुबन ने बताई के मुमफली की बुबाई अषाढ़ से शुरू हो जात और फिर निदाई गुड़ाई तिलाई चलत कम से कम एक दो महिना कओ काम रत।लेकिन अब जा दबाई ने काम नई करो सो जादा टेम लगे ओर मेनत भी भोत हें।अगर जो चारो हो गओ नई उखारे तो मुमफली दब जेहे और चारो पर जे।खेत में दबाई डार देत ते सो मर जात तो।लेकिन हमने अबे दस दिन पेले दबाई दई और हालई पानी बर्ष गओ सो कछु असर निकरो दबाई से।सो अब हाथन से उखार ने पर रओ।
नई तो दबाई से सब मर जात।और फिर खात दे देत सो अच्छी मुमफली परत।नातर तो छोटी छोटी होत सो बा पेड़े के संगे आ जात।और अच्छी हो जात मोटी तो पेडो उखर यात और मुमफली नेचे जमीन में रह जात।फिर उन्हें खोद के बीनत हें।
अगर कोऊ की जादा जगा में हें तो बो टैक्टर से खुदवा के फिर बीन लेत और अच्छी नई हो पात तो फिर परेशान हो जात।तोरने परत पेड़े मे से एक एक तो परेशानी हो।जात और नुकसान भी होत।फिर कछु फायदा नई होत।पूरे खेत में चारो हो जात। एइसे हमार खेती में कछु फायदा नहीं है । और न तो सज्कार कछु मदद करत हे ।
एक दबाई की शीशी की कीमत बारा सौ रुपजा हें।और फायदा बारा रुपजा की नई भई।
सुखदेव,पुष्पेन्द्र और भुबन ने बताई के मुमफली की बुबाई अषाढ़ से शुरू हो जात और फिर निदाई गुड़ाई तिलाई चलत कम से कम एक दो महिना कओ काम रत।लेकिन अब जा दबाई ने काम नई करो सो जादा टेम लगे ओर मेनत भी भोत हें।अगर जो चारो हो गओ नई उखारे तो मुमफली दब जेहे और चारो पर जे।खेत में दबाई डार देत ते सो मर जात तो।लेकिन हमने अबे दस दिन पेले दबाई दई और हालई पानी बर्ष गओ सो कछु असर निकरो दबाई से।सो अब हाथन से उखार ने पर रओ।
नई तो दबाई से सब मर जात।और फिर खात दे देत सो अच्छी मुमफली परत।नातर तो छोटी छोटी होत सो बा पेड़े के संगे आ जात।और अच्छी हो जात मोटी तो पेडो उखर यात और मुमफली नेचे जमीन में रह जात।फिर उन्हें खोद के बीनत हें।
अगर कोऊ की जादा जगा में हें तो बो टैक्टर से खुदवा के फिर बीन लेत और अच्छी नई हो पात तो फिर परेशान हो जात।तोरने परत पेड़े मे से एक एक तो परेशानी हो।जात और नुकसान भी होत।फिर कछु फायदा नई होत।पूरे खेत में चारो हो जात। एइसे हमार खेती में कछु फायदा नहीं है । और न तो सज्कार कछु मदद करत हे ।
26/07/2016 को प्रकाशित
दुगनी मेहनत कर रहे हैं किसान
झांसी के टपरिया गाँव में खरपतवार मारने वाली दावा बेअसर