एक 18 साल के युवक को जब मिर्गी का दौरा पड़ता है और डॉक्टर उसका ईलाज नहीं कर पाते तब ज्योतिष की माँ कहती है कि इसे देवी ने परेशान किया हुआ है इसलिए इसे साड़ी पहना दो। और देवी को प्रसन्न करने के लिए इसकी शादी देवी से करवा दो।
यह कहानी है एक 18 साल के युवक की जिसे जोगाप्पा बना दिया गया। जोगाप्पा यानी एक युवा लड़का जो एक ट्रांसजेंडर औरत है और जिसे देवदासी माना जाता है। वह उत्तरी कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ क्षेत्र का रहने वाला है। इसे देवी येल्लाम्मा से एक दिव्य अधिकार प्राप्त है। जब इसकी बीमारियाँ लाइलाज हो गई तब इसे देवी येल्लाम्मा देवी के मंदिर में समर्पित कर दिया गया था।
हर साल नवम्बर और दिसम्बर के महोनो में हजारों की संख्या में ट्रांसजेंडरों का जमावड़ा हिन्दू कन्नड़ कलेंडर के अनुसार येल्लाम्मा जात्रे की आराधना के लिए सौंदत्ती मंदिर में एकत्र होते हैं। जहाँ जोगाप्पास समुदाय की विवाह प्रक्रिया को पूरा किया जाता है।
राजरत्न इस समुदाय के स्वास्थ्य कार्यकर्ता है को बारीकी से यहाँ मौजूद लड़कों के व्यवहार को देखते हैं। यदि उन्हें उन लड़कों में महिलाओं के गुण दिखाई देते हैं तो वह उन्हें साड़ी, सिंदूर, चूड़ियाँ आदि सभी सुहागन महिलाओं की तरह सजाते हैं और उन्हें देवी को समर्पित कर दिया जाता है। माना जाता है कि अन्य ट्रांसजेंडर इन जोगाप्पास को अपने से अलग मान कर उनका सम्मान करें।
नारीवादी लेखिका लुसिंडा कहती हैं कि “यह ठीक वैसा ही है जैसा देवदासी प्रथा में होता था। इन्हें येल्लाम्मा बताने के लिए कुछ इस तरह का वर्णन किया गया है कि इन्हें जब भयानक त्वचा रोग, बुखार, लगातार और अकथनीय बीमारी हो जाती है जिसकी चिकित्सा उपचार से सम्भव नहीं होती, परिवार में होने वाली मौतों, पशुधन की हानि, फसलों की विफलता, गंभीर झगड़ा और भयंकर गरीबी आने पर इन्हें जिम्मेदार ठहराया जाता है। इसलिए हमेशा इन्हें प्रसन्न करने के लिए कहा जाता है, अगर यह क्रोधित होती हैं तो यह समस्याएं सामने वाले पर भी आ सकती हैं। ”
फोटो और लेख साभार: द वायर