रियो ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली भारतीय धावक ओपी जैशा ने 42 डिग्री तापमान पर 42 किलोमीटर की दूरी तय तो दौड़ कर तय कर डाली लेकिन समाप्ति लाइन पर 3 घंटे बेहोश पड़ी रहीं।
जैशा को कड़ी धूप में दौड़ते हुए आठ किलोमीटर की दूरी पर रियो ओलंपिक के प्रबंधकों की ओर से किए गए थोड़े इंतजाम से संतोष करना पड़ा। यही वजह है कि दौड़ पूरी होते ही जैशा गिर गर्इं और काफी देर तक बेहोश पड़ी रहीं। बल्कि उनका कहना है कि उन्हें ऐसा लगा कि अब वे मर जाएंगी।
सवाल यह है कि कभी बेहद गरीबी से संघर्ष करके मैदान में उतरी जिस खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश के लिए कई पदक जीते और आज तक कोई शिकायत नहीं की, उसे आज अपना दुख बयान करने की जरूरत क्यों पड़ी। विडंबना है कि इस शिकायत पर गौर करने के बजाय उलटे अपना दुख जाहिर करने वाली खिलाड़ी को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश हुई!
राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले तमाम खिलाड़ी आजीविका चलाने के लिए चाय की दुकान खोले और दिहाड़ी पर मजदूरी करते आपको मिल जाएंगे।
अमेरिका में एक खिलाड़ी पर 74 करोड़, ब्रिटेन 48 करोड़ और चीन 47 करोड़ रुपए ओलंपिक की तैयारी पर खर्च करते हैं। जबकि भारतीय सभी खिलाड़ियों पर मात्र 160 करोड़ खर्च करता है।