भारत में, जीवन के अंतिम दिनों में महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों को चिकित्सकीय/स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाएँ अधिक उपलब्ध करायी जाती हैं। यह आंकड़ा सरकार द्वारा मृत्यु प्रमाणपत्र देने वाले विभाग ने जारी किया है।
2014 में हुई 1 लाख 60 हजार लोगों की मौत में 6,67,000 पुरूष थे और 400,000 महिलाएं थीं। यह भारत में पुरूष की जनसँख्या से 11 प्रतिशत अधिक है। इससे यह मान लें कि हर हजार पुरुषों पर 600 महिलाएं ही मृत्यु प्रमाणपत्र देने की सेवा ले पाती हैं। वहीं, हर पांच में से चार मृत्यु को प्रमाणपत्र नहीं हासिल हो पाता।
भारत में सबसे ख़राब हालत झारखंड में हैं जहाँ 128 की मृत्यु पर मात्र 1 व्यक्ति को ही मृत्यु प्रमाणपत्र मिल पाता है। यह इस बात का प्रमाण है कि झारखंड भारत का दूसरा सबसे गरीब राज्य है। इसका सबसे बड़ा कारण यहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना है।
यदि बिमारियों पर नजर डालें तो हम पायंगे कि ह्रदय से जुड़े रोगों के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। इसमें पुरूष 31 प्रतिशत पर हैं जबकि महिलाएं 32 प्रतिशत पर हैं। इन रोगों के बाद लम्बी समय से चली आ रही बिमारियों के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती हैं।
2010 और 2013 के बीच भारत में 23 प्रतिशत ह्रदय से जुड़ी बिमारियों के कारण सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं जिनमें 21 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में और 29 प्रतिशत मौतें शहरों में हुई हैं।
इंडियास्पेंड की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से 2013 तक 166 प्रतिशत मौतें स्तन कैंसर के कारण हुई हैं। गर्भाशय कैंसर के कारण 123 प्रतिशत मौतें हुई और मुंह के कैंसर के कारण 134 प्रतिशत मौतें हुई हैं।
वहीं, देश की अधिकतम जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में कैंसर के मामले सामने आये। जबकि महाराष्ट्र दूसरें नम्बर पर रहा और उसके बाद बिहार, वेस्ट बंगाल और आंध्रप्रदेश रहा।
साभार: इंडियास्पेंड