महंगे होते तेल और लु़ड़कते हुए रुपये की मायूसी के बीच जीडीपी दर ने सरकार को अच्छी ख़बर दी है। जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से जून की पहली तिमाही में 8.2% विकास दर दर्ज की गई है। पिछले साल इस तिमाही में विकास दर 5.6% थी। साथ ही इस तिमाही में कृषि क्षेत्र में 5.3%, विनिर्माण क्षेत्र में 13.5% और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में 8.7% विकास दर दर्ज की गई है।
बताया जा रहा है कि ये अर्थशास्त्रियों के अनुमान से ज्यादा है जिन्होंने 7.6 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान जताया था।
पिछली तिमाही में भी यही वृद्धि दर रही थी। निर्माण क्षेत्र का मजबूत प्रदर्शन और उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी की वजह से विकास दर का आंकड़ा 8.2 फीसदी पर पहुंचा। 1 अप्रैल 2018 को शुरू हुए वित्त वर्ष की पहली तिमाही के आंकड़े शुक्रवार को जारी किए गए।
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने बयान में कहा है कि निर्माण, बिजली एवं गैस क्षेत्र में वृद्धि दर 7 फीसदी रही है।
सांख्यिकी मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल–जून 2018 के बीच जीडीपी विकास दर 8.2% रही। जबकि अप्रैल–जून 2017 में जीडीपी दर 5.6% रही थी। और 2017-18 की आखिरी तिमाही में जीडीपी विकास दर 7.7% दर्ज़ की गई थी।
सरकार ने शुक्रवार को इसके आंकड़े जारी किये। इस वृद्धि दर से सबसे तेज वृद्धि करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देश की दावेदारी और मजबूत हो गयी। तुलनात्मक रूप से देखें तो तिमाही के दौरान चीन की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के जारी बयान में कहा गया है कि 2011-2012 के स्थिर मूल्यों पर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 33.74 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 31.18 लाख करोड़ रुपये था। यह वृद्धि 8.2 प्रतिशत रही।
कीमतों के आधार पर तिमाही का सकल मूल्यवर्धन पिछले वित्त वर्ष के 29.29 लाख करोड़ रुपये की तुलना में आठ प्रतिशत बढ़कर 31.63 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इससे पहले 2014-15 की जुलाई–सितंबर तिमाही में जीडीपी में सर्वाधिक तेज वृद्धि हासिल की गई। तब जीडीपी की वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही थी। इस दौरान विनिर्माण क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन 13.।5 प्रतिशत की दर से बढ़ा। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 1.8 प्रतिशत गिरा था। इस दौरान कृषि, वानिकी और मत्स्यपालन क्षेत्र पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के तीन प्रतिशत की तुलना में 5.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा।
आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग ने कहा है कि अगर अर्थव्यवस्था इसी रेट से बढ़ती रही तो 2018-19 में जीडीपी विकास दर 7.5% तक पहुंच सकती है।
हालांकि पूर्व वित्त मंत्री याद दिला रहे हैं कि ये बढ़ोतरी सबसे कमज़ोर तिमाही के आधार पर दिख रही है। पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा है, “ख़ुशी की बात है कि विकास दर तेज़ हुई है। लेकिन आंकड़ों को फिर से देखिए। पहली तिमाही की विकास दर बीती 8 तिमाहियों की सबसे कमज़ोर तिमाही दर (5.6%) पर आधारित है।“
इससे पहले आठ बुनियादी उद्योगों की जुलाई में वृद्धि दर 6.6% रही। इसकी प्रमुख वजह कोयला, रिफाइनरी उत्पाद, सीमेंट और उवर्रकों का उत्पादन बेहतर रहना है। यह आठ बुनियादी उद्योगों की सूची में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उवर्रक, इस्पात, सीमेंट और बिजली उत्पादन उद्योग शामिल हैं। पिछले साल जुलाई में इनकी वृद्धि दर 2.9% थी। इस दौरान कोयला, रिफाइनरी उत्पाद, उवर्रक और सीमेंट उत्पादन की वृद्धि दर क्रमश: 9.7%, 12.3%, 1.3% और 10.8% रही।