फैजाबाद कै जिला अस्पताल हुवय चाहे अम्बेडकर नगर कै। सरकारी अस्पतालन मा मुफ्त मा दवा मिलै कै नियम बाय। लकिन ई स्थिति देखै का नाय मिलत बाय। मरीज आषा कइके जाथिन कि दवा कै पैसा न लागै लकिन वकै उल्टा परिणाम मिलाथै अउर सारी दवा बाहर से लियै का पराथै।
सरकारी अस्पतालन मा मरीज ई आषा लइके जाथिन कि सुई दवाई कै पैसा तौ बच जाये। लकिन छोटी से छोटी दवा भी मरीजन का बाहर से लिख दीन जाथै। इहौ नाय सोचा जात की मरीज यतनी दवा बाहर से खरीद पाये कि नाय? अबहीं ताजी घटना एक लड़की कै एक्सीडेण्ट हुवय से हाथ टूट गै तौ फैजाबाद जिला अस्पताल इलाज के ताई गै। एक्सरा करावै के ताई बोलागै तौ कहिन कि कल आइव। आज एक्सरा ना होय पाये। कउनौ तरह एक्सरा भी होइगा तौ पलास्टर के ताई मरहम पट्टी बाहर से लावै का कहागै। डाक्टर कहिन कि खरीद के लावा तबै पलास्टर चढ़ पाये। जब कि कच्चा पलास्टर चढ़ावै कै दुई सौ सत्तर रूपया लियाथिन। अउर आठ सौ कै दवा बाहर से भी लिख दिहिन।
इहौ नाय सोंचा जात कि एक अकेला मरीज दर्द से कराहत बाय तौ बार बार दौड़ के दवा मरहम पट्टी कैसे लाये? जब यतनी मसक्कत के बाद जिला अस्पताल मा सुविधा मिलत बाय तौ मरीज कवन मेर स्वस्थ्य रहिहैं? एक बार कै बात नाय हमेषा ई स्थिति देखै का मिलाथै। कभौ डाक्टरन के लापरवाही से या सही इलाज न मिल पावै से गर्भवती मेहरारू या बच्चा कै मउत होय जाथै। जैसेन तमात प्रकार कै समस्या सामने आवाथै। का वहिके अन्य डाक्टरन कै ई जिम्मेदारी नाय बनत कि जांच करै कि काहे नाय मरीजन का सुविधा मिलत बाय?