- अर्वा इम्तियाज भट्ट 16 साल की एक लड़की है। दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली अर्वा उन खिलाड़ियों को आवाज दे रही हैं, जो बोल और सुन नहीं सकते हैं।
- अर्वा कोई कोच नहीं हैं, बल्कि वो दिव्यांग खिलाड़ियों को संकेतों से खेल की जानकारी देती हैं।
- अर्वा ‘जम्मू-कश्मीर स्पोर्ट्स एसोसिएशन’ से जुड़े 250 खिलाड़ियों की आवाज हैं और इस काम के लिए अर्वा कोई पैसे नहीं लेती हैं।
- अर्वा की मां और भाई बोल और सुन नहीं सकते हैं, जिस कारण अर्वा इस तकलीफ से वाकिफ हैं। अर्वा के पिता एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर हैं, आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्होंने अर्वा को निजी विद्यालय से निकालकर सरकारी स्कूल में दाखिल कर दिया है। पर वह अपनी बेटी को डॉक्टर बनाना चाहते हैं।
- इन परेशानियों के बाद जब अर्वा दिव्यांग खिलाड़ियों के चेहरे की मुस्कान को देखती हैं तो अपना गम भूल जाती है।