जिला अम्बेडकर नगर, ब्लाक टांडा। यहां पर नौ गांव के लोगों की दौ सौ छियासठ एकड़ ज़मीन पर एन.टी.पी.सी नाम की सार्वजनिक कंपनी इकाई लगाने के लिए कंपनी द्वारा दिए गए मुआवजे लेकर विवाद चल रहा है। किसानों का कहना है कि इससे पहले जब कंपनी ने किसानों से ज़मीन खरीदी थी तो मुआवज़े के साथ घर के एक व्यक्ति को नौकरी भी दी थी। लेकिन इस बार न तो उचित मुआवज़ा और न हीं नौकरी दी जा रही है।
सतिराम, नीरज सलाहपुर रजौर का कहना है कि जब 1978 में ज़मीन एन.टी.पी.सी. में गई थी तो हर परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी दी गई थी और मुआवज़ा भी मिला था। इस बार लोगों को नौकरी नहीं दी जा रही हैजबकि किसानों का कहना है कि खेती जाने के बाद आय का कोई ज़रिया होना जरूरी है। किसानों ने बताया कि कंपनी द्वारा तय मुआवजे़ की रकम देने की बात कहकर एक तरह से किसानों की सहमति का इंतजार किए बिना ही धान, गन्ने की फसल नष्ट करवा दी गई। मदुबीर वर्मा, मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि चैदह सौ छप्पन लोगों की ज़मीन एन.टी.पी.सी. में चली गई है। इन लोगों के मुताबिक सरकार चैदह लाख रुपया बीघा बतौर मुआवज़ा दे रही है जबकि इस समय पच्चीस लाख बिस्वा के हिसाब से ज़मीन बिक रही है। नष्ट हुई एक बीघे फसल का मुआवज़ा इक्कीस हज़ार सात सौ सात रुपया दे रहे हैं। एन.टी.पी.सी. में काम करने वाले एक व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त में बताया 1978 में जब कंपनी लगी थी तो लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी दी गई थी। पर इस बार तकनीकि शिक्षा पाए लोगों को ही नौकरी दी जा रही है।
डी.एम. विवेक का कहना है कि किसानों के लिए दो करोड़ चैंतिस लाख रुपया मुआवज़ा आ गया है। जल्द ही भुगतान के लिए पत्र भेजा जाएगा। अपर जिलाधिकारी राममूर्ति मिश्रा का कहना है कि अब केवल पन्द्रह एकड़ ज़मीन ऐसी है जिसको लेकर किसानों की सहमति लेनी बाकी है।