जिला चित्रकूट, ब्लांक रामनगर, गांव नांदिन कुमियान सरसों के फूलन मा हिंया मधुमक्खी मंडरात देखाई देत हवैं। काहे से या गांव मा मधुमक्खी पाले वाले व्यापारी आये हवै। इं ब्यापारी कानपुर फतेहपुर अउर मुजफ्फरनगर से आये हवैं।
जिला फतेहपुर के धाता गांव के रहै वाले घनश्याम सिंह पटेल कहब हवै कि मैं दस साल के मधुमक्खी पाले का काम करत हौं। या काम मा बहुतै फायदा हवै। बेरोजगार मडइन खातिर या अच्छा काम आये या व्यापार के कारन हम पूर भारत घूमित हन। जेहिमा जम्मू, बिहार अउर राजस्थान समेत कइयौ प्रदेश हवै मुजफ्फरनगर के मधुमक्खी व्यापारी अरविन्द बताइस कि मधुमक्खी पाले खातिर अक्टूबर से अप्रैल का महीना नीक रहत हवैं। बारिश के महीना मा मधुमक्खी मर जात हवैं। या समय बढ़त हवैं। पहिले मधुमक्खी पाले खातिर पच्चीस बक्सा रहै, अब या समय अस्सी बक्सा होइ गे हवैं।
मधुमक्खी खातिर फूलन वाले पौधा जइसे सरसों अरहर अउर चना चुनित हवैं। जउन खेत मा हम मधुमक्खी लइ जइत हन तौ खेत वालेन से पूछें का पड़त हवैं। अउर समझावै का पड़त हवै कि खेतन का नुकसान न होइ। तबै उंई आपन खेतन मा मधुमक्खी का फूल के रस चूसे देते हवैं। पहिले हमै या काम मा बहुतै फायदा रहै, पै अब कम्पनी वाले ज्यादा फायदा नहीं देत हवैं।
कानपुर का पंकज कुमार बताइस कि दोस्त के कहे मा या काम शुरू किये हौं। तीन साल से या काम करत हौं। पचास हजार रुपिया से शुरूआत किये रहे हौं। अबै तक ढाई तीन लाख का शहद बेंच चुके हौं। अब या काम के मुकाबले दूसर कुछौ काम नीक नहीं लागत हवैं।
रिपोर्टर- सहोद्रा
24/12/2016 को प्रकाशित