उच्चतम न्यायालय ने बैल पर काबू पाने वाले खेल जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले तमिलनाडु और महाराष्ट्र के कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकायें पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपने का फैसला लिया है।
तमिलनाडु ओर महाराष्ट्र ने केंद्र के पशुओं के प्रति कूरता की रोकथाम कानून, 1960 में संशोधन किया था और जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति दी थी। इन कानूनों की वैधानिकता को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी है।शीर्ष अदालत ने यह कहा कि राज्य में कंबाला की अनुमति देने संबंधी कर्नाटक के अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अलग से सुनवाई की जायेगी।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन की पीठ ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखते हुये कहा कि वृहद पीठ ही यह फैसला करेगी कि संविधान के अनुच्छेद 29 1 के अंतर्गत आने वाले सांस्कृतिक अधिकारों के दायर में जल्लीकट्टू के अधिकार आते हैं और क्या इन्हें सांविधानिक रूप से संरक्षण दिया जा सकता है।
पीठ ने कहा कि वह तमिलनाडु और महाराष्ट्र के रवैये को देखते हुये इस विवाद का अंत करना चाहती है। दोनों राज्यों का कहना है कि उन्होंने समाज के एक वर्ग के सांस्कृतिक अधिकारों की रखा के लिये कानून बनाये हैं।