जले मा नमक छिड़के का काम करत हवैं, चित्रकूट जिला अस्पताल का बर्न वार्ड। काहे से बर्न वार्ड के खराब पंखा अउर इनतान मरीजन के तकलीफ का कम करै के जघा बढ़त हवै। मरीजन के रिश्तेदारन के अनुसार वुइं मरीजन के दवाई खुदै करत हवैं।
मरीज उमारानी का कहब हवै कि बहुते गरमत हवै तौ तकलीफ बहुत होत हवै। मरीज का रिश्तेदार मनीष बताइस हवै कि हिंया मोहिका देखभाल का काम करत एक महीना होइगें हवैं। हिंया मलहम भर मिलत हवै। बांकी रोज का सामान छह सौ रुपिया का बाजार से लइत हवै। मरीज के रिश्तेदार कुसुम का कहब हवै कि हिंया ड्रेसिंग का सामान मलहम,पट्टी,इंजेक्शन तक सबै अपने से लावैं का पड़त हवै। एक दिन मा एक हजार रुपिया का सामान आवत हवै। मरीज रामदुलारी बताइस हवै कि लाइट चली जात हवै, तौ अधियारे मा रहै का पड़त हवै। मोबाइल के उजाला मा रहैं का पड़त हवै। मरीज के रिश्तेदार सतरूपा का कहब हवै कि लाइट चली जात हवै, तौ हाथ वाला पंखा हाकित हवै। मरीज का रिश्तेदार अवध किशोर का कहब हवै कि लाइट न रहैं से पसीना बहुत आवत हवै, एक दुई पंखा खुदै बिगड़े हवैं अउर ऊपर से लाइट नहीं रहत आय।
मुख्यचिकित्सा अधीक्षक चित्रकूट के डाक्टर एन. के. गुप्ता का कहब हवै कि अगर इनतान के बात आवत हवै, तौ मड़ई आके हमसे शिकायत करै फेर जांच कराई जई। अगर कउनौ डाक्टर दवाई लिखत हवै, तौ या गलत आय काहे से हिंया से सबैतान के दवाई उपलब्ध कराई जात हवैं। बर्न वार्ड हवैं पै अगर कउनौ सरमोहया के कारन खुदै पट्टी करत हवै, तौ यह मा कउनौ बात नहीं आय। अउर जहां एसी के बात हवै, तौ कलहें लगवा दीन जई। कइयौ दरकी एसी सुधरवा चुके हन हिंया चोरी चपाटी बहुते होत हवै। हिंया जउन मड़ई के मन मा आवा उठा के चल देत हवैं।
रिपोर्टर: नाजनी
Published on May 3, 2018