जिला बांदा। ब्लाक बबेरू के गांव मुरवल में बनीं सहकारी समिति की इमारत 12 अगस्त 2013 को गिर गई। हालांकि किसी व्यक्ति कोे चोट नहीं आई है, लेकिन समिति के भीतर रखा सारा सामान दब गया है।
गांव मुरवल के किसान देवरथा, शिवचरण और रामखेलावन ने बताया कि सहकारी समिति की इमारत लगभग साठ साल पुरानी थी। बीस गांव के किसानों को यहां से बीज मिलता था। लंबे समय से मरम्मत न होने से इमारत बिल्कुल जर्जर हो गई थी। इसके सचिव रामेश्वर यादव ने बताया कि इमारत के बारे में कई बार बबेरू एस.डी.एम. आर के. श्रीवस्तव से शिकायत की गई। इस हादसे के बाद जिले की दूसरी जर्जर सहकारी समितियों को लेकर भी सवाल खडे हो गए हैं। 1957 में बनीं ब्लाक तिंदवारी के गांव पपरेंदा सहकारी समिति की हालत भी काफी खराब है। इसमें तीन गोदाम और दो दफ्तर चल रहे हैं। बरसात में हालत और खराब हो जाती है। सोसाइटी के केंद्र प्रभारी राकेश कुमार श्रीवास्तव और अध्यक्ष अनंग पाल ने बताया कि इसमें लगभग ढाई हजार किसान सदस्य हैं। कई बार जिला सहायक निबंधक को दरखास दी जा चुकी है।
किसान अशोक सिंह, हरिकिशन और श्री पाल ने बताया कि बरसात के मौसम में पानी के भर जाने से न तो यहां खाद-बीज रखने की जगह बचती है, और न हीं बैठने की। सदर तहसील बांदा के अपर जिला सहकारी अधिकारी सुरेन्द्र कुमार शंखवार से इस बारे में पूछने पर कहा कि बांदा में कुल छियालिस समितियां हैं। इनमें से अधिकतर जर्जर हालत में हैं। राष्ट्रीय कृषि एवं विकास विभाग लखनऊ से कई बार शिकायत की गई। इनकी मरम्मत की जिम्मेदारी प्रकीर्ण प्रबंधकीय कार्यालय लखनऊ की है।
जर्जर हालत में हैं जिले की समितियां
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