80 साल की चंद्रो और प्रकाशो 6 बच्चों की मां और 15 पोते-पोतियों की दादी हैं। वह अब तक दो दर्जन से ज्यादा राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीत चुकी हैं। दोनों दादियां एक दूसरे की देवारानी-जेठानी हैं और दोनों मिलकर घर का सारा काम भी करती हैं।
सटीक निशाने लगने के बाद दादियों ने निशानेबाजी में ध्यान देना शुरू किया। जब वह शूटिंग रेंज जाती थीं तो गांव के लोग मजाक उड़ाते थे कि बुढ़िया इस उम्र में कारगिल जाएगी क्या? लेकिन दोनों ने गांव वालों की बातों पर ध्यान नहीं दिया और देखते ही देखते दोनों ने कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर कई पदक जीते।
दादी प्रकाशो और चंद्रो 2001 में अपनी पोती को गांव की ही शूटिंग रेंज में शूटिंग सिखाने जाती थीं। एक दिन पोती ने कहा, दादी आप भी निशाना लगा कर देखो। चंद्रो ने दो-तीन निशाने एक दम सही लगाए। इसके बाद कोच के कहने पर प्रकाशो ने निशाने लगाए तो वह भी सटीक बैठे।
2010 में दिल्ली के एक शूटिंग प्रतियोगिता में प्रकाशो ने दिल्ली के डीआईजी को हराकर गोल्ड मेडल जीता था। 1999 से लेकर 2016 के बीच दादियों ने वेटरन कैटगरी में कई मेडल जीते। दादी सैक़डों छात्र-छात्राएं को रोजाना ब़डौत कोतवाली के जोह़डी स्थित रण छात्र-छात्राओं को जोह़डी राइफल क्लब में निशानेबाजी के गुर सिखा रही हैं। जोह़डी राइफल क्लब देश को लगभग 600 से अधिक ऎसे निशानेबाज दे चुका है जो निशानेबाजी के दम पर नौकरी पाकर देश को सेवाएं दे रहे हैं।