वाराणसी चार बार आतंकी घटनाओं का गवाह बन चुका है। इसके बाद भी यहाँ प्रशासन, पुलिस और खुफिया तंत्र हमेशा बड़े मामलों में फेल ही दिखते हैं। 15 अक्टूबर को राजघाट इलाके में भी कुछ ऐसा ही हुआ जब गरीबों के सेवक और शाकाहारी जीवन जीने की प्रेरणा देने वाले जयगुरुदेव का यहाँ आना हुआ।
जयगुरुदेव के शाकाहार समागम होने पर गुरुदेव के भक्त करीब महीने भर से शहर में पैदल व गाड़ियों से प्रचार कर रहे थे। लेकिन यह प्रचार जिला प्रशासन, पुलिस व खुफिया तंत्र को सुनाई नहीं दिया। नतीजा प्रशासन जयगुरुदेव के भक्तों के कहे अनुसार ही सुरक्षा के बंदोबस्त कर सका।
बनारस के राजघाट पुल के पास चल रहे कार्यक्रम में जैसे ही भगदड़ मची, वहां का मंजर बदल गया। शांति और उपदेशों के बीच अचानक से चीखें सुनाई देने लगीं। इस बीच करीब 25 लोगों की मौत हो गई और सैंकड़ो लोग घायल हो गये। मरने वालो में करीब 20 महिलाएं शामिल थीं। यह भगदड़ दोपहर करीब ढेड़ से दो बजे के बीच हुई। कुछ लोगों का कहना है कि एक महिला पुल पर गिर गई थी उसी की वजह से और गिरने लगे और भगदड़ मच गई।
इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने वाराणसी के अपर जिला मजिस्ट्रेट सिटी विंध्यवासिनी राज तथा सिटी मजिस्ट्रेट बी बी सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। कार्यक्रम में आये लोगों का कहना है कि पुलिस प्रशासन की लापरवाही की वजह से ये घटना हुई है। जबकि पुलिस प्रशासन का कहना है कि जयगुरुदेव के समर्थकों की संख्या बताई गयी संख्या से कहीं ज्यादा थी। पुलिस कार्यक्रम के लिए 3 हजार लोगों के आने के लिए कहा गया था लेकिन कार्यक्रम में करीब 50 हजार लोग आ गये थे। फलस्वरूप भगदड़ मची और लोगों की मौत हुई।