भारत प्रशासित कश्मीर में क्रिकेट का जादू महिला खिलाड़ियों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। पिछले दिनों जम्मू–कश्मीर में महिलाओं की 13 टीमों ने एक साथ अपने हुनर का प्रदर्शन किया।
क्रिकेट खेलने के दौरान टीम की सदस्य महनाज़ को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारीं। उन्हें कई बार मैच और परीक्षा साथ–साथ देने पड़े हैं।
वो कहती हैं, “कई बार ऐसा हुआ कि परीक्षा के दौरान मुझे क्रिकेट टूर्नामेंट में शामिल होना पड़ा। मेरे स्कूलवालों ने मुझे कभी रोका नहीं, बल्कि पहले मैं टूर्नामेंट खेलती, उसके बाद परीक्षा में बैठती। लेकिन इस वजह से मेरी पढ़ाई पर असर ज़रूर पड़ा।”
महनाज़ की और भी छह बहनें हैं। उनके पिता बिजली विभाग में एक मामूली लाइनमैन थे जिनका एक साल पहले निधन हो गया।
बीते सात सालों से क्रिकेट के मैदान में श्रीनगर की फ़रख़ंदा छक्के और चौके मार रही हैं। जब उन्होंने खेलना शुरू किया था तो उन्हें पता नहीं था कि एक दिन उन्हें बड़े मैदान में खेलने को मिलेगा।
वो कहती हैं, “सात साल पहले जब मुझे क्रिकेट खेलने का शौक हुआ तो मुझे हेल्पर के तौर पर रखा जाता था। फिर एक दिन जब हमारी टीम का एक खिलाड़ी बीमार पड़ा तो उसकी जगह मुझे खेलने का मौक़ा मिला।”
वो बताती हैं, “वो मेरा पहला मैच था। उस दिन मैंने 39 रन बनाए। तब से ओपनर के तौर पर टीम में मुझे जगह मिल गई। आज मैं भारत के कई राज्यों में खेल चुकी हूं।”
श्रीनगर के करननगर की रहने वाली हनान मक़बूल बीते 13 सालों से क्रिकेट खेल रही हैं। शुरू–शुरू में वो लड़कों के साथ खेलती थीं।
वो कहती हैं, “आज महिला क्रिकेट टीमें हैं। जब मैंने खेलना शुरू किया था तो हमें लड़कों के साथ खेलना पड़ता था। उस समय लड़कियों का क्रिकेट खेलना पसंद नहीं किया जाता था। पूरी तरह नहीं, लेकिन, अब तो सोच में बदलाव आ गया है।”
जम्मू और कश्मीर राज्य परिषद के सचिव वाहीद पाररा ने यह जम्मू–कश्मीर की सभी महिलाओं की जीत पर कहा, “यह एक पायलट परियोजना है यह आज की युवा महिलाओं के आत्मविश्वास का एक प्रदर्शन है।“
जब वादियों में हो खलल, तब खेल देता साथ: श्रीनगर में महिला क्रिकेट की नई लहर
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