हाल में हुए दो बलात्कार उन्नाव और कठुवा ने एक बार फिर इस बहस को तेज कर दिया है कि निर्भया केस बाद जो महिला सुरक्षा पर कानून बने और जो प्रदर्शन हुए, उसका कोई असर हुआ या नहीं। उन्नाव और कठुवा केस में अरोपियों का सत्ताधारी सरकार से सम्बध और शह शर्मनाक है। उन्नाव जिले की बांगरमऊ सीट से बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर एक नाबालिक बच्ची का गैंग रेप का आरोप है। साथ ही, इस नाबालिक की शिकायत तक पुलिस ने नहीं लिखी, और उसके पिता को जेल में डाल दिया, जहां उनकी मौत हो गई। नाबालिक के प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय के सामने आत्मदह की कोशिश के बाद मामला खुलकर सामने आया। तो वहीं प्रदेश सरकार की इस मामले को दबाने की कोशिश की निंदा हुई। वहीं कठुआ में हुई घटना मानवता को हिला देने वाली है, जहां 8 साल की बच्ची को धर्म के कारण निशाना बनाया गया। और फिर उस पर गंदगी धार्मिक राजनीति शुरु हो गई।
उत्तर प्रदेश की बात करें तो प्रदेश में काबिज सरकार महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था ठीक करने के नाम पर ही आई थी, लेकिन हुआ क्या सरकार के नेता पर ही आरोप लगने लगे। शर्म की बात तो ये है कि सरकार की तरफ से भी इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश की गई। जग निन्दा के बाद अब ये मामला सीबीआई के पास चला गया है। लेकिन न्याय की राह अब भी आसान नहीं है।
2011 में बहुजन समाज पार्टी के विधायक पुरुषोत्तम द्विवेदी पर शीलू निषाद ने बलात्कार का आरोप लगाया। 17 साल की नाबालिक शीलू के आरोपों पर कार्रवाई करने की जगह उस पर चोरी का आरोप लगा दिया। डराने, धमकाने के बावजूद शीलू को न्याय मिला 2015 में पुरुषोत्तम द्विवेदीको बलात्कार के आरोप में दस साल की सजा हुई। उन्नाव मामले पर शीलू कहती हैं कि सत्ता से अकेले लड़ना आसान नहीं है, लड़की के साथ कोई ताकतवार इंसान नहीं है, तो वह डरेगी ही हम भी उस समय डरते थे। शीलू का मानना है कि उन्नाव मामले में लड़की के साथ इंसाफ की राह आसान नहीं है, क्योंकि सत्ता का दवाब कम नहीं होता है।
उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा को चुनावी मुद्दा तो सत्ताधारी सरकार ने बनाया था, जिसका हल प्रदेश में एंटी रोमियो दल के गठन के रुप में था। लेकिन इस दल ने सुरक्षा देने से ज्यादा लोगों को तंग ही किया। 2018 में बलात्कार के मामले बुंदेलखंड में देखें तो अप्रैल के महीने में चित्रकूट जिले के सीतापुर चौकी क्षेत्र में 15 साल की नाबालिग के साथ बलात्कार हुआ। लड़की रात में शौच के लिए बाहर गई थी, जहां उसके साथ ये वारदात हो गई। अप्रैल में ही बांदा जिले में एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया। लड़की को उसके घर से ही उठाया गया था। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में एक बेटी ने अपने पिता पर बलात्कार का आरोप लगाया। आज देश में लड़कियां ना बाहर सुरक्षित हैं ना घर के अन्दर। 25 फरवरी को चित्रकूट में शौच के लिए गई लड़की के साथ बलात्कार की घटना हुई।
ऐसी कई घटनाएं हैं, जो बताती हैं कि प्रदेश में कानून व्यवस्था को चुस्त करने की दुहाई देने वाली सरकारें सत्ता में असीन होने के बाद कुछ भी नहीं करती हैं। हद तो ये हैं, जब आरोपी सत्ता से तालुक रखने वाले होते हैं, और सत्ता उन्हें सजा देने की जगह बचाने की कोशिश करती है। हाल के उन्नाव और कठुवा केस इसके ही उदाहरण हैं।
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-अलका