प्रियंका पटेल बांदा जिला के तिन्दवारी के वार्ड नम्बर 9 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव पहली बार लड़ रही हंै। सबसे ज्यादा घमासान युद्ध इस वार्ड में है क्यांेकि लोगों के मुताबिक ज्यादातर पैसे वाले, सत्ताधारी और बालू के अवैध खनन में जुडे़ दिग्गजों ने इस वार्ड से ताल ठोंकी है। माना जा रहा है कि चुनाव में इस बार के उम्मीदवार प्रचार प्रसार में सबसे अधिक धन खर्च कर रहे हैं। एक एक उम्मीदवार का खर्च पचास लाख रूपए के ऊपर जा रहा है। नामांकन के दिन कई ऐसे उम्मीदवार थे जो सौ से डेढ़ सौ तक की गिनती में चार पहिया वाहन ले कर गए थे। वोट बटोरने के लिए क्षेत्र में देवी देवताओं के स्थानों में लाखों के भन्डारे चल रहे हैं तो रात रात भर डीजे बाजा के साथ प्रचार हो रहा है।
पच्चीस साल की प्रियंका चेयरमैन ब्रजेष पटेल की पत्नी हैं। गुलाबी, हरी और काली साड़ी में एक घर से दूसरे घर में प्रियंका बड़ी ही तेजी से जाती हैं। “मैं इस बार जिला पंचायत का चुनाव लड़ रही हूं। आप लोगों को लगे कि मैं इस काबिल हंू तो एक बार मुझे अवसर देना।”
हम प्रियंका से खौड़ा गांव में मिले जहां पर वो अपने पति के साथ प्रचार कर रही थीं। थोड़ी देर में उनके पर्चे खत्म हो जाते हैं तो वह अपने बचकाने लहजे में बिना हिचक अपना परिचय देती हंै- ”मैं प्रियंका पटेल, तिन्दवारी चेयरमैन की पत्नी हूं। मेरे पर्चे खत्म हो गए हैं पर आप लोग केतली में वोट देना न भूलें। कल तक सब के घर में पर्चे पहुंच जाएंगे।“ गांव में अपने परिवार की महिलाओं की टीम के साथ में प्रियंका प्रचार करती हैं और उनका पति आदमियों में खास करके ब्राहमण और पटेलों के बीच में छोटी पंचायत इकठ्ठा करके कहता है- “कोई ऐसा न होगा जो मुझे जानता न होगा। मंैने तीन सालों में तिन्दवारी को चमकाया है। खदानों से निकले हुए नेताओं की पहंुच सिर्फ खदानों तक है। मेरी पहंुच तो लखनऊ तक है।”
प्रियंका अपने पति की राजनीति और राजनैतिक परिवार में रहकर अपना राजनैतिक अनुभव बना र्पाइं और इस क्षेत्र में आने लिए वह निर्णय ले र्पाइं। पर प्रचार प्रसार को देखकर लगता है कि वह अपनी अलग तरह की पहचान बनाना चाहती हैं। उसमें आत्मविश्वास है। वह लोगों को जोड़ पाने में सक्षम है। प्रियंका ने तिन्दवारी से सोषियोलाजी मंे एम.ए.की पढाई की है। कम्प्यूटर और ब्यूटीशियन का कोर्स भी किया है। घर नहीं बैठना नहीं चाहती थीं तो संस्थाओं में काम करने लगीं और महिलाओं को सिलाई सिखाती थीं।
राजनैतिक पति के साथ क्या प्रियंका स्वतंत्र होकर अपने मन से काम कर पाएंगी?
मैं गरीबों के लिए काम करना चाहती हूं। अगर मैं जीतती हूं तो मेरे पति अपने क्षेत्र में काम करेंगे और मैं अपने क्षेत्र में। मैं उनसे परमीषन नहीं लंूगी कि मुझे क्या करना है, चाहे घर में झगडे़ झेलने पडे़। अगर मेरे पति ने तोे मुझे मैदान में उतारा है तो उनको तैयार रहना होगा।