राहुल गांधी मेड-इन-बांदा (मतलब यतने कारखाना देब कि कोऊ बेरोजगार न रही) का सपना बुन्देलखण्डि़न के बीच छोड़ दिहिन। अब जनता या सपना का लइके केतना भरोसा मा है या तौ राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनैं के बाद ही पता चली। या बात तौ सच है कि अब जनता नेता मंत्री के वादन मा भरोसा नहीं करत आय। या सपना का सुन के कइयौ मड़ई या तक कहि डालिन कि “जबै आंधर आंखी पावै तबै पतियाय”।
राहुल गांधी के कइयौ वादा का अबै मड़ई भूला निहाय। जउन उंई आज तक पूरा नहीं कई पाइन आय। अब नये वादन का कउन भरोस? फेर भरोसा तबै कीन जा सकत है जबै उंई प्रधानमंत्री के कुर्सी पा जाय। उंई आपन भाषण मा पानी, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, शिक्षा अउर महिला आरक्षण के बात करिन। का उनके खातिर या फेर आम जनता खातिर इं मुद्दा अनजान मा हैं। इनके गाथा तौ चुनाव प्रक्रिया शुरू होय के साथै शुरू होई गे रहै। आज तक इं समस्यन का हल नहीं निकल पावा आय। अगर हम बात करी मेड-इन बांदा के तौ का या वादा प्रधानमंत्री के बनै के बाद सफल होई पाई। या सपना जेहिके खातिर देखा जात है, तौ का सच मा वहिका लाभ मिल पाई? या फेर या सपना मा भी वहै हाल होई जउन अबै तक चलत योजनन मा होत चला आवा है। योजना होय या मेड-इन बांदा जइसे का सपना, लाभ केहिका है अउर केहिका मिली या बात से शायद है कि कोऊ अनजान होई। यहै मारे आम जनता मेड-इन-बांदा का सपना सुनतै कहि डारिस कि आंधर आंखी पावै, तबै पतियाय।
जबै आंधर आंखी पावै, तबै पतियाय
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