हर साल सरकार आम बजट पेश करत हवैं। कुछ जनता के हित मा होत हवैं तौ कुछ बिना हित के होत हवैं। 1 फरवरी 2018 का बजट पेश कई दीन गा हवैं सरकार चाहे जेत्ता कहे कि बजट मा मेहरियन, किसासन, बेरोजगारन अउर गरीबन का सुविधा दीन जई, पै कत्तौ इनतान होत नही आय? जनता कल भी परेशान रहै अउर आज भी परेशान हवैं? या दरकी के बजट मा भी वित्तमंत्री अरुण जेटली देखाइन हवैं कि सब से ज्यादा मेहरियन, युवा गांव के किसासन अउर शिक्षा मा सब से ज्यादा बजट हवैं। पै का या बजट का फायदा इन लोगन का मिली या कागज बस मा रहि जई? हर साल के जइसे शिक्षा के खातिर दस से बारह प्रतिशत बढ़ोत्तरी होई? पै जहा स्कूल नहीं आहीं हुवां कसत शिक्षा मा बढ़ोत्तरी के बात सरकार करत हवैं? किसासन खातिर सरकार कहत हवैं कि सीधे सबहि किसासन का फायदा मिलै खाद, बीज जइसे चीजन खातिर किसान के खाता मा सीधे भेज दीन जाये। जेहिसे बिचौलिया या फक्ट्रीयन वाले फायदा ना लई सकें?
युवाओं खातिर सरकार रोजगार दे के बात करत हवैं। यहिके खातिर कम्पनी का छूट मिली जउन कम्पनी जेत्ता ज्यादा रोजगार देई वहिका ज्यादा छूट दीन जई? पै सरकार के लगे सरकारी नौकरी शायद नहीं आहीं का? जउन कम्पनियन के बात करत हवैं?